________________
२०४
शास्त्रवार्तासमुच्चय . और क्योंकि ऐसे शास्त्र में दूसरों के मन की बात आदि जानने के उपाय बतलाए गए हैं इसलिए उनके सम्बन्ध में यह भी कहा जा सकता है कि उनका विषय जगत् के सभी पदार्थ हैं; इस आधार पर भी इस शास्त्र की प्रस्तुतोपयोगी सामर्थ्य सिद्ध होती है (अर्थात् यह सिद्ध होता है कि यह शास्त्र धर्म-अधर्म का निरूपण करने में समर्थ है)।
टिप्पणी-हरिभद्र का आशय यह है कि दूसरों के मन की बात जानने के उपाय बतलाना आदि असाधारण काम एक सर्वज्ञ व्यक्ति ही कर सकता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org