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चौथा स्तबक
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अतः यह सिद्ध हो गया कि यदि जगत् के सभी पदार्थ क्षणिक हैं तो इनमें से कोई भी पदार्थ 'दो इन्द्रियों द्वारा जाना जा सकने योग्य' वस्तुतः नहीं कहा जा सकता ।
सर्वमेतेन विक्षिप्तं क्षणिकत्वप्रसाधनम् ।
तथाऽप्यूर्ध्वं विशेषेण किञ्चित् तत्रापि वक्ष्यते ॥३७४॥
इस प्रकार हमने क्षणिकवाद की साधक सभी युक्तियों का खंडन कर दिया, फिर भी इस सम्बन्ध में कुछ अन्य विशेष बातें आगे भी कही जाएंगी।
टिप्पणी-क्षणिकवाद का यह आगामी खंडन हमें छठे स्तबक में मिलेगा।
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