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________________ ___ १० पाँचवाँ स्तबक १. बाह्यार्थखंडन-खंडन २. विज्ञानाद्वैतवाद में मोक्ष की अनुपपत्ति १२९ १३७ १४० १४३ छट्ठा स्तबक १. 'निर्हेतुक विनाश' से क्षणिकवाद की सिद्धि नहीं २. 'अर्थक्रियाकारित्व' से क्षणिकवाद की सिद्धि नहीं ३. 'रूप-रूपान्तरण' से क्षणिकवाद की सिद्धि नहीं ४. 'अन्ततोगामी नाश' से क्षणिकवाद की सिद्धि नहीं ५. क्षणिकवाद तथा विज्ञानाद्वैतवाद के प्रतिपादन का एक आशयविशेष ६. शून्यवादखंडन सातवाँ स्तबक १. जैनसम्मत नित्यानित्यत्ववाद का समर्थन १४८ १४९ १५२ आठवाँ स्तबक १. ब्रह्माद्वैतवादखंडन १७४ नवाँ स्तबक १. मोक्ष की संभावना तथा मोक्ष के साधन १७७ दशवाँ स्तबक १.. मीमांसक के सर्वज्ञताखंडन का खंडन २. बौद्ध के सर्वज्ञताखंडन का खंडन १८६ २०५ ग्यारहवाँ स्तबक १. शब्दार्थसंबंधखंडन का खंडन २. ज्ञान तथा क्रिया के बीच प्राधान्य-अप्राधान्य का प्रश्न ३. मोक्ष का स्वरूप ४. ग्रंथ-उपसंहार २१६ २२० २२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002647
Book TitleSastravartasamucchaya
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorK K Dixit
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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