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एत्थंतरम्मि सेट्ठी वि आगओ 'झत्ति पाहुड-विहत्थो। सासंको सो सभओ (२०-अ) देविं विण्णवइ विणएण।।१४९ ।। सामिणि ! समुद्द-मज्झे विसमे गुरु-विमलसेल-सिहरम्मि। एगागिणी यंती एसा दिट्ठा मह सुएणं ।।१५०।। पडिवजिऊण बहिणी नाउं विजाहरेण अवहरिया। कस्स व निवस्स धूया इहाणिया सुंदरी एसा।।१५१।। धूय व्व मज्झ एसा गउरविया निय-गुणेहिं सविसेसं। जा चिट्ठइ तुह पासे सगउरवं तं पि ता नियसु।।१५२।। सुणिऊण सेट्टि-वयणं भ(२०ब) णियं सिरि-चंदलेह-देवीए। 'तुह दुइया हं धूया सेट्ठि! भयं मा करिजासु' ।।१५३।। संतोसिऊण सेट्टी पउरं दाऊण तहस्य तंबोलं। भणियं देवीए पुणो एवं चिय सेट्टि ! कायव्वं ।।१५४ ।। भवणम्मि गओ सिट्ठी ताणं दोण्हं पि एक्कमेक्केणं। सम-सोक्ख-दुक्खियाणं सुहेण दियहा अइक्कंति।।१५५।। अण्णम्मि दिणे सा णट्ठ-माणसा जाव चिट्ठए देवी। ता सुंदरीए भणिया सुयणु ! तुमं केरिसी चिंता।।१५६।। (२१अ) अवमाणं किं तुह पिययमेण पणएण दंसियं अज?। किं पणइयाण मज्झे केण वि तुह खंडिया आणा?।।१५७।। तव्वयणायण्णण-जंपिरीए देवीए पभणियं वयणं। मज्झ सुयाण सहोयरि ! एगा वि सहोयरी नत्थि।।१५८।। ता एगा मह धूया पुन्न-नियोएण हवइ जइ सुयणु ! । ता इय उड् मह विसय-संग-सोखेहिं पजंतं।।१५९।। ता मज्झ कुणसु तं कं पि ओसहं जेण गब्भ-संभूई। जायइ एगा धूया सुंदरि ! एह तुह पसाएण।।१६०।।
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१. ज्झत्ति. २. सुभओ. ३. धुया. ४. पणठ्ठ.
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