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सुदरिसणा-जम्मुप्पत्ति-वण्णणो नाम दुइओ उद्देसो एयं जिणिंदभवणं करावियं जीए नियमभावेण। देवी सुंदसणाए तीए चरियं निसामेह।।८९।। जंबूदीवे दीवप्पईवए भारहम्मि दाहिणयं। धम्म-ऽत्थ-काम-मोक्खाण कारणं मज्झिमं खंड।।१०।। तस्स य दाहिण भाए-रम्मो रयणायरस्स तीरम्मि। सिंघल दीवो दीवो रमणीओ तीयस-परिओसो।।११।। कसण-मुहा पय-पूरा स(१३अ)मुण्णया जणमणाहिरामयरा। नारी-पओहरा इव पओहरा जत्थ वरिसंति।।१२।। अहवासमए समए सुहयं अणुकूला पाउसम्मि सस्साणं। पामर-जणाभिरामं वरिसंति घणा घणा जत्थ।।१३।। आसाइय-पामर-नारि-निवह-नीसेस-सास-संघाओ। दुव्वाय-ईति-रहियो निप(प्फ)ज्जइ जत्थ सरयम्मि।।१४।। सारय-ससि-किरण-तुसार-सित्त-गत्ताहिं पामर-वहूहिं। गाम रच्छासु गिज्जइ रासो कय-ताल-सद्देहिं।।९५।। तग्गीयाअण्णण-हरिय-माणसा जत्थ गाम-रच्छासु। निवसंति सया मुइया ससि-किरणासासिया हरिणा।।९६।। (१३-अ) धण-नागवल्लि-मंडव-पूईफल-फलिय-तरु-समूहेहिं। कमल-वण-खंड-मंडिय-सरेहि संभंत-सुर-निवहो।।९७।। रयणासउ त्ति रयणायरेण गाढं अपाय-भीएण। लहरी-भुय-डंडालिंगिओ व्व जत्तेण चउपासं।।१८।। जो सयल-संपया-बद्ध- निबिड-धण-नेह-पुण्ण-दीवो व्व।
नाणाविह-रयण पहा-खंडिय-दालिद्द-तम निवहो- ।।९९।। १. दोवो. २. पहोअरा. ३. तग्गिया. ४. निवड.
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