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जह सा वंदणदत्ते कयनिलया पसविया वडे तुंगे। आमिस-लुद्धा पहया कुक्कुडसप्पेण मिच्छेण।।२१।। जह सा मरिऊण तओ सिंण-णियम पहावओ नरिंदसुया। सिंहलदीवे जाया जाईसरणं जहा जायं ।।२२।। माया-पियरे पडिबो(४ब)हिऊण साहेवि पुव्वभवचरियं । सीलवईए सहिया सिंघलदीवाओ जह चलिया ॥२३॥ जह रयणायर-मज्झे विमल-महापव्वयस्स सिहरम्मि। कारवियं जिणभवणं विजयकुमारस्स पणएण।।२४।। जह भरुयच्छे पत्ता ते मुणिणो वंदिऊण भावेण। मुणि सुव्वयम्स तुंगं करावियं जह जिणाययणं ।।२५।। छट्ठ-ऽहम-दसम-दुवालसेहिं तव-नियम-चरण-करणे(४-ब) हिं। अणसण-विहिणा जह सा मरिऊण सुरालयं पत्ता ।।२६।। तह एसा तीए कहा समय-पसिद्धा बुहेहिं पण्णत्ता। आयण्णह चउगइ-गमण-नासणी जण! ममाहितो।।२७।। सुयण-चलण (वयण ?)-कमल-बोहण-रवि व्व सुहय अदिट्ठ-दोसेयं । अकलंकिया वि सारय-ससि व्व अच्छेरयम्भूया।।२८।। एत्थेव भरहखित्ते अत्थि गिरी नंदिवद्धणो नाम। तस्सऽग्गेय-दिसाए दियवर-ठाणं हिरण्णउ (५अ)रं।।२९।। नामेण वद्धमाणो जिणधम्म-परायणो तहिं आसि। साहिय-भुयंग-मंतो पुत्तो[य]धणेसरो तस्स।।३०।। नेमिकुमारो तस्स य बीओ नामेण वद्धमाणो ति। ताण कणिट्ठो संसार-भीरुओ नाम धणपालो।।३१।। जिणधम्म-गुण-पहिट्ठो चउगइ-संसार-वास-संतहो। मिच्छत्त-भय-पणट्ठो जिणिंद-धम्मम्मि पत्तट्ठो।।३२।।
१. यदिट्ठ.
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