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________________ रत्नमंडनगणिकृत रंगसागर नेमि फाग ७३ भाषा बावनि-चंदनि गूहली रे, ऊपरि चउक नवेरा रे, माणिक मोती केरो रे, मांडिउ सोवन पाट सुंदरू ए, तेह ऊपरि हरखिं थापीइ, मांडी मनि ऊमाहो रे, थाल मणिमय साही रे मोतीअडे (व)धावई कुंअरू ए. १५ भद्र जातिक धवल मयगिलि सिवादे-कुंअरू ए, सोभागसुंदरू रे, चडिउ जिसिउ हुइ पुरंदरू ए, बहिनि बाला पूठि बइठी, लीला लूंण ऊतारइ रे, दृष्टिदोष निवारइ रे, उपरि धरिउं मेघाडंबरू ए. १६ फाग सिरि छत्र मेघाडंबर अंबरख्यापक कंति, बिहु पखि सीकिरि चामर धवल ढलंति. १७ धउल गाइं धुरि धुलहीं, धउल हीराउली दंति, आंगणि अवसर सो लही, सोलही नाच करंति. १८ काव्यद्वयं जे गंगानील काला किडाहा खुरासाणी(आ) सींधल सींधुआ कलहथा कास्मीरिया कुंकणा, ढूंका कानिआ नकचा नि पिहला पूर्व पाग नीसला. तेहे यादवकुअरा तरवर्या तेजी तुखारे चड्या. १९ मोतीमंडित सुंडिदंड सरला दीसंति दंतूसला. हीराला झलकंत सोवन कडी, सिंदूर भाले भला, घाली घुघरीआल पाखर खरे हीरे जडी जेहनी, अंगे तेह गजेंद्र ऊपरि चड्या चालंति राणा सवे. २० रासक मृदंग भुंगल भेरि बुरंग गभीर सर सरणाइ नीसाण वाजंति रे, दडदडी ददामां देवदुंदुभि महारवि रविरथ-तुरीय त्रासंति रे. २१ पालखी तुरीय रथ गयंद आडंबरि, अंबरि अमर निहाली रे, छत्र धजा अलंब सीकिरि चामरधर सधर जान हिव चाली रे. २२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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