________________
७४
प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह
आंदोला तोरण पहूती जान, मागत दीजइ दान, वाजित्र वाजई ए, अंबरि गाजइं ए, बइठी रयण-गवाक्षि, चतुर चकित हरिणाक्षि, रसि राजीमती ए, नेमि निहालती ए. २३ रहिउ तोरण-बारि, सुणीय पसूय-पोकारि, पशूअ मेल्हाविआ ए, भय भरताविआ
[अभय वरताविआ] ए, मयगल वाली नेमि, पहुतउ निज घरी खेमि, राजलि हलवली ए, तव महीयलि ढली ए. २४
फाग
वीजणे करई सखीजन, वीजन राल जयंति [राजलवंति ?], उपरि तापनिकंदन, चंदनरसिं वरिसंति. २५ चेतन पामीय राजलि, काजलि कलुषित दृष्टि, विलपति विरह देखाडती, पाडती आंसुअ वृष्टि. २६ पीडई काई बापीयडा, प्रीयडा-विरह-विषादि, प्राण हरे [छइ मोरडा?], मोरडा मधुर निनादि. २७ रडई पडई लोटई ए, मोटइ ए कंकण फार, गमइंय नहीं अंगि नेउर, केउर करि उरि हार. २८ राजलि विरहई पूरिअ, [...] अवर कुमार, नेमि निरंतर समरति, समरति पतिगुण सार. २९ दान संवत्सर देइय, लेइय संयमभार, नेमि करइं पणि ते सवि देसविदेस विहार. ३०
एषा गाथा
आसो अमावसीए दिणंमि सिरि नेमि जिणवरिदेणं, पत्ते केवलनाणे कुणंति देवा समोसरणं. ३१
संस्कृत रासक सुरपतयो विदधति समवसरणमशरणशरणमुदारं रे, रजतकनकमणिसालसडंबरमंबरगतरुचिभारं रे. ३२ सकल-मिलित-वृंदारक-दानव-मानव-नायक-लोका रे, मधुकर-निकर-अंब-मकरंद पारणकारण विलसदशोकं रे. ३३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org