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________________ ७२ प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह आंदोल मांडव रचइं विसाल, चंदूअडा चउसाल, मणिमोती-भरिआ ए, दीसिइ सिरि धरिआ ए. रतनखचिताचि थंभ, हेमघटित सिरि कुंभ, माणिक दीवडा ए, दीपई रूअडां ए. ५ इंद्रधनुषआकारि, तलिआतोरण बारि, मणि-हीराली ए, वन-खाली ए. संग्रहिआं अति अणीआल, सुंदर धवल विसाल, नागरखंडडा ए, पान अखंडडां ए. ६ फाग संग्रह्यां रंग सनागर नागरखंडडां-पान, परधन मधुकर-घृते करी ते करीइं पकवान. ७ मांडीइं मणिमय भाजन, साजन जिमई विवाहिं, मूकीइं पकवान शालि रे, दालि रेलिई घृत माहि. ८ काव्यं [शार्दूल०] मूकीइं पकवान वानि धवलां देसाउरी सूखडी, पीली दालि अखंड शालि सुरहुं घी सामटां सालणां, टाढां ढेप दहीं अउखरि चलुं गंगाजले उज्वले, काथे केवडीए कपूर सरिसे तंबोलि पानाउली. ९ रासक नेमि अनेक परि कामिनिअ मुगध दुगधजलिं अंघोलई रे, पंचशबद विविध धवल दिइं गुहिरा मुहि राता तबोलिई रे. १० बावनि-चंदनि ऊगटि सारइं, कारइं सवि सिणगार रे, हीरालग[हीरागल] अंगि कृष्णागुरू बहिकई, लहकई कुंडल-हार रे. ११ आंदोला लहकई कुंडल कानि, समिरविमंडल मानि, मुकुट मनोहरू ए, सिरि सोभाकरू ए. नीलवटि तिलक विशेषा, नयणे काजलरेखा, वदनि तंबोलू ए, पगि कुंकू-रोलू ए. १२ उरवरि नवसर हार, नव जलधर जिम धार, मणिरूचि पीयली ए, विचिविचि वीजली ए. मुद्रकी-मंडित पाणि, वीरवलय भुज-ठाणि, बांहडी बहिरखा ए, झलके बिहु पखा ए. १३ शृंगारवर्णन. इम सिणगारीउ सारी ए नारीए नेमिकुमार, आगलि मणि-आरीसइ ए दीसइ ए सोहगसार. १४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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