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रत्नमंडनगणिकृत रंगसागर नेमि फाग
कामिनीजन-मनमोहग सोहगसुंदर देह, नेमि मनाविउ रमणीय, रमणी परिणवउ एह. १८
श्लोक यावदाशासितादेशा: श्रीनेमिरमणेच्छया, अंत:पुर्ये विनेयांति वसंतस्तावदावगमन्. १९
रासक अवसरि अवतरि रति मधुमाधवी माधवी-परिमल-पूरी रे, कुसुम-आयुध लेइ वनस्पती सवि रही, विरही ऊपरि सूरी रे. २० मदन रणंगिणि सारथि, परिमलभरि मलयानिल वाई रे, सुभटि कि मधुकर करई कोलाहल, काहल कोकिल वाइं रे. २१
आंदोल कोइल विख[व]यणी, मदिरारूण-नयणी, नार कि मरहठी ए, वनि वनि बइठी ए. पंथीप्राण पतंग, कालउं काजल भृग, चंपक दीपकू ए, वनघर-दीपकू ए. २२ कुसुमित ए करूणी, जाणे किरि तरूणी, मधुकरश्रेणी ए, तेह सिरि वीणी ए. जंबीर बीजउरी, वेइल वउलसिरि; पाडल पारधी ए, मधुरस-वारिधी ए. २३
फाग वाडीय सविहु कुसुमायुध-आयुध-शाला हवंति, भमर रहइं तिहां पाहरी, माहरी ए मनभ्रंति. २४ सेवंत्री फूलडइ महुर अर[सर?], महुअर रा जव दीठ, मुगध भणइं तव राहूउ, आहूउ चंद्री बइठ. २५
काव्य आवी ए मधुमाधवी रति भली फूली सवे माधवी; पीली चंपकनी कली मयणनी दीवी नवी नीकली, पामी पाडल केवडी भमरनी पूगी रूली केवडी; फूले दाडिमि रातडी विरहियां दोल्ही हुइ रातडी. २६
फाग सुललित चरणप्रहारिइं मारइं कामिनीलोक, अधिक विहसंति अभागीया तहवि अशोक. २७
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