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________________ प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह आर्या नाना वास विमान-माव[मान] रामा सुरामरीव रम्या, अमरनगरी समाना द्वारवती नाम नगरीयं. ९ द्वारिकावर्णन रासक तीणी नगरीइं जरासंध-विध्वंसक सकल यादव-देविंद रे, सयत रतनवंत राज करइ हरि हरिकुल-कमल-दिणिंद रे. १० आयुधशाला गयुं एकदा गोविंदनी इंदनीलवन्न उदार रे, खड्ग-गदादिक आयुध शरमति रमतिं नेमिकुमार रे. ११ आंदोल रमति नेमिकुमार रे, शरमइं हरख थाय रे, शारंग चडावइ ए, शंख वजावइ ए; धनुष तणे धोंकारि, शंख तणे उकारी, डोलई डूंगरू ए. १२ नादि भरिउ बंभंड, खिणि थंभिउ मातंड, पृथवी थरहरी ए, मनि चमकिउ हरी ए; जयजयकार करंति, सुर कुसुमे वरिसंति, नेमि तिहां थिउ ए, काह्न कन्हइ गयु ए. १३ फाग नेमिं सिंहासणि थापीय आपीय बांह मुरारि, तव बलगरव-करालीय चालीय नेमिकुमारि. १४ हरिकुल-कानिनि राचइ ए साचइ ए नेमि रसाल, बांह-डालई पिकनो लइ ए डोलइ ए कंसनउ काल. १५ नेमि भुजाबल जाणीय आणीय केसवि संक, लेसिइ ए माहरू आज ए राज एहु निकलंक. १६ काव्यं रामो जंपइ नेमि निब्भरभुआदंडाण चंडं बलं, जाणेऊण विसालरज्जहरणा संकाकुलं केसवं, सो रा[ज्जं] नरकंत मिच्छदि कहं तारुणपुष्पोविजो, जोगिंदो परिणेदि नेग तरुणिं वेरग्गरंगादरो. १६ फाग इणिं वचनि अमीसरिखइं ए हरिखइं ए सीखवइ राय, बत्रीस सहस अंतेउरी नेउरी निरूपम पाय. १७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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