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प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह
सकल करी निज दासिका नासिकाइ शुकचंच, वदन चरण कर जुअलां कूअलां पदम ए पंच. २८ नेमि तणउ मुहु बिमणिम चंद्र अच्छइ निसिदीस, दंत नही एह ऊजली झलहलई कला बत्रीस. २९ लोचन विकसित कमल कि अमलकिरण अणीआल, हे हर तुझ ससिमंडल - खंड लहीउं एह भाल. ३० काव्यं ( शार्दूल०)
दंता दाडिमनी कुली, अधर बे जाची प्रवाली जिसी, कीजइ खंजन पंखि अंखि सरिषा धारा जिसी नासिका, सारी सगिणि सामली भमहि बे वांकी वली वीणडी, काली किंबहुना कुमार किर ए पीजाइ लगलग लही. ३१ यौवनवर्णनं
रासक
अवतरिआ इणि अवसरि मथुरां पुरिसरयण नवनेह रे, सुखलालित लीलां परिति अतिबल बलदेव वासुदेवेह रे. ३२ वसुदेव रोहिणी देवकीनंदन, चंदन अंजनवान रे, वृंदावनि यमुनाजलि निरमलि रमलि करई गाई गान रे. ३३ आंदोल रमलि करंता रंगि, चडइ गोवर्द्धनशृंगि, गूजरि गोवालणी ए, गाई गोपी सिउं मिली ए. काली नाग जल - अंतरालि, कोमल कमलिनीनालि, नाखिउ नारायणि ए, रमलि-परायणी ए. ३४ कंस मालाखाडइ वीर, पहुता साहसधीर, बेहू वाई बाकरी ए, बलवंता बाहिं करी ए, बलभद्र बलिआ सार, मारिउ मौष्टिक माल, कृष्णि बल पूरिउ ए, चाणूर चुरिउं ए. ३५
फाग
मौष्टिक चाणूर यूरिय, देखीय ऊठिउ कंस, नवबलवंत नारायणिं, तास कीधउ विध्वंस. ३६
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