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________________ ६६९ अज्ञातकृत महावीर स्तोत्र तीस संवछर देव तइ, रायला परिमुत्त, पडिबोहिउ दिक्खा समइ, लोगंतिय संपत्त. १४ एकु जसोया वल्लहिय, अनु पियदंसण धूय, णिग्गउ मिल्लिवि रायसिरि, वीर दिक्ख लइय. १५ सुरराइं विणत्तु जिणु, तुहुं तव चरणु चरेसि, अइदारुण उवसग्गु तहिं, बारह वरिस सहेसि. १६ हउं अच्छऊ तुह पायतलि, तुहु परिचतु निसंगु, संगम कहइ इवं ताह, जिंह ऊभंजउ मग्गु. १७ तो बोलेइ तियलोयगुरु, इंद, ण होसइ एव, अन्न निसाइ नाइं जिउ, कम्मु खवेसइ एउ. १८ सहसनयणु सोहम्मि गउ, जिणु विहरेवइ लग्गु, सामिउ तहिं पविसणु करइ, जहिं देखइ उवस्सग्गु. १९ अण वार परमेसरइ, पाइहि रद्धी खीरि, गोयालिंआ रुटेण, सा अहियासेय वीरि. २० परमझाणु झायंताह, तहिं आईउ आहीरु, बलद भलाविय जिणवरह, ते नवि जोयउ वीरु. २१ अप्पणु चारिं ते गया, पुणु आइउ आहीरु, पुछइ बलद कहिं गया, उत्तर देह ण वीरु. २२ सा आरुठ्ठउ निय मणिण, लेविणु खयर-सलक्ख, कंन्ने खोट्टेय जिणवरह, आहीरिं निभिच्च. २३ कंन्ने खिल्ला खोट्टणिहि, वेयण जाइ महंत, सो अहियासइ वीर जिणु, मणु ण चलइ नहमत. २४ भारं सहस्स चक्क सिला, संगमकई पभित्त, सरिसवमित्तु ण मणु चलिउ, जंतु जाणु महि खुत्तु. २५ जिणु रयणी एकइ समइ, वीरु सहइ उवसग्ग, ते अहियासिय वीर जिणि, छिन्निवि चउगइ-मग्गु. २६ पापकम्म खोडेवि जिणु, पुणु उप्पाडिउ नाणु, जोयालोय पयासियउ, · चउदह रज्जु प्रमाणु. २७ बारह जोयण वहवि गउ, मगहा गोबर गामि, देविहि रइउ समोसरणु, तहिं उवविठ्ठउ सामि. २८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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