SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 574
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुणाकरसूरिकृत श्रावकविधि रास Jain Education International जंतपीड निल्लंछणह असइ - पोस दवदाण, सरह सोस सो किम करइ, होइ जु माणस जांण. २१ ढाल ५५९ लोहकार सोनार ढंढार, भाडभुंज अनइ कुंभार; अरु पीरु आजु नर वीकंते, ते रंगाली [ इंगाली ] कम्म करंति. २२ कंद कठ तृण वणफलफुल्लइ, विक्कइ पत्त जि लब्मइ मुल्लई, खंडण पीसण दलण जु कीजइ, वण-जीविया कम्म सु कहीजइ. २३ घडइ सगड जो वाहइ वीकइ तीजइ कम्मादाणि सु ढक्कइ; खर वेसर महि सुड्डु बलद्द, भाडइ भार म वाहिसि भद्द. २४ कूव सरोवर वावि खणंते, अन्नुवि उड्डह कम्म करते; सिलाकुट्ट - कम्म हलखेडण, फोडि कम्म जि भूमिहिं फोडण. २५ दंत केस नह रोमइ चम्मइ, ख कवड्डय पोसय सुम्मइ; कस्तूरी अगरु जिवि साहइ, सो नर सावय- धम्म विराहइ. २६ लाख गुली धाडी महुआ, टंकण मणसील वणिज; पूरी वज्ज लेवसा कूडा, हरियाला नवि रूडा. २७ सुर विस आमिस महु अनुभाषण, रसविजण किय करइ विचक्षण; दुप्पइ चउपइ वणिज जु लग्गइ, केस वणिज निय मन सु भग्गइ. २८ विस कंकसीया हल हथीयारा, गंधक लोह जि जीव हमारा; ऊखल अरहट घरट वणिज्जइ, इम विस वाणिज करइ अणज्जइ. २९ घाणी कोह्लू अरहट वाहइ, अन्नु दलि दाजिको करावइ; इणि परि कहियइ कम्मादाण, जे [जी] वपीडा परिहरइ सुजाण. ३० जो घणु निग्घण अंक दियावइ, विंधइ नाक, मुक्कु छेदावइ; गाई कन्न गलकंवल कप्पर, सो निल्लंछण दीसिहिं लिप्पइ. ३१ कुक्कड कुक्कुर मोर बिलाडइ, पोसंतह नवि होइ भलाइ; सूआ सारहि अनइ पारेवां, धम्म धुरंधर नहीय धरेवा. ३२ दव देविण घण जीव म मारहू, सरवर द्रह जल सोसु निवार; पनरस कम्मादाण विचारू, जाणवि सूधउ करिव [उ] ववहारू. ३३ धातु धमइ रस अंजण जोअइ, जय ( जुअ) रमइ इम दविण न होइ; कुविसन एक विसवउ न गमीजइ. निय आगति चिहुं भागिहि कीजइ ३४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy