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प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह ते काव्यनो अर्थ फेरव्यो छे. २९
'मिथ्यात्वीनी क्रिया आंबाना फळना अर्थीने वटवृक्ष सरखी; चारित्र रहित ज्ञान पोस मासे आंबा सरखं' एवं लख्युं छे, त्यां ए ओछु जे अपुनर्बधादिक क्रिया आंबाना बीजांकुर आदि सरखी गणी नथी. श्री हरिभद्रसूरिना घणा ग्रंथमा ए अर्थ प्रगट छे. ३०
_ 'लौकिक मिथ्यात्वथी लोकोत्तर मिथ्यात्व भारे' एवं लख्युं छे ते पण एकांत नथी, जे माटे बंधनी अपेक्षाए लौकिक पण भारे दीसे छे. योगबिंदुमां भिन्नग्रंथी- मिथ्यात्व हलवं कर्तुं छे, अभिन्नग्रंथी- भारे का छे. ३१
'अनुमोदना तथा प्रशंसा ए बे भिन्न कहीए' एवं लख्युं छे ते न घटे, जे माटे पंचाशकवृत्ति प्रमुख ग्रंथमा प्रमोदप्रशंसादिकलक्षण अनुमोदना कही छे. ३२
'मिथ्यादृष्टिना दयादिक गुण पण न अनुमोदवा' ए कहे छे ते न घटे, जे माटे परसंबंधिया पण दानरुचिपणा प्रमुख सामान्य धरमना गुण अनुमोदवा योग्य आराधनापताकादिक ग्रन्थमां कह्या छे. तथा साधारणगुणप्रशंसा ए धर्मबिन्दुसूत्रमा पण लोक लोकोत्तर साधारण गुणनी प्रशंसा करवी कही छे. ३३ ___ 'मिथ्यात्वीना दयादिक गुण प्रशंसीए पण अनुमोदीए नहीं' एवं कहे छे ते मायानुं वचन, जे माटे खरी प्रशंसाए अनुमोदना ज आवे अने खोटी प्रशंसानो तो विधि न होय. ३४ ___“सम्यग्दृष्टि ज क्रियावाळी होय' एवं कहे छे ते न घटे, जे माटे एक पुद्गलपरावर्त्त शेष संसार क्रियारुचि क्रियावादी दशचूर्णि प्रमुख ग्रंथे कह्यो छे. ३५
_ 'मिथ्यात्वीने दयादिक गुणे करी पण सकाम निर्जरा न होय' ए, लख्यं छे ते न घटे. जे माटे मेधकुमारनो जीव हस्ति प्रमुखने दयादिक गुणे संसार पातलो थयो ते सूत्रे ज का छे ते सकाम निर्जरा विना केम घटे? तथा मोक्षने अर्थे निर्जरा ते सकाम निर्जरा कही छे. ३६ _ 'कविला इत्थंपि इहयंपि' ए वचन मरीचिनी अपेक्षाए उत्सूत्र नहिं अने कपिलनी अपेक्षाए उत्सूत्र, ते माटे ‘उत्सूत्रमिश्र कहीए' एवं लख्युं छे ते न घटे, जे माटे एम कहेता सिद्धांत वचन पण सम्यग्दृष्टि मिथ्यादृष्टिनी अपेक्षाए उत्सूत्रमिश्र थई जाय, तथा श्रुति भावभाषामिश्र होय ज नहि एवं दशवैकालिकनी नियुक्तिमां का छे. ३७
‘मरीचिनुं वचन दुर्भाषित कहीए, पण उत्सूत्र न कहीए' एयूँ कहे छे ते न मिले, जे माटे पंचाशकवृत्तिमा ‘दुर्भाषित' पदनो अर्थ 'उत्सूत्र' कर्यो छे. ३८ _ 'उत्सूत्रलेश मरीचिनुं वचन कह्यु छे ते माटे 'उत्सूत्रमिश्र कहीए' एवं कहे छे ते न घटे, जे माटे द्रव्यस्तवमां भावलेश पंचाशकादिक ग्रन्थे कह्यो छे ते पण भावमिश्र
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