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________________ ४४० महाजननी ८४ न्यातनां कवित [कर्ता संघतिलकसूरि हशे? के संघतिलकसूरिना कोई शिष्य-अनुयायी? – संपा.] श्री श्रीमाल श्रीमाल बडा औसवाल वदीजै, पोरवाड परसिद्ध डीडूबाल सुजस दखिजै; पोढा पोहकरवाल मनु मेडतवाल मुणिजै, वले हरसोरावाल थिर दीसावाल थुणिजै, पल्लीवाल कहीइं प्रगट भंभूवाल भणेल, खंडोअडवाल इम अखीईं दोहिलवाल दिणेल. १ खंखेरवाल खरवट्ट साहस खरा सूरांणा, गूजरवाल गजमोज के सुहदुवाल कहांणा; अगरवाल उपम जायलवाल . रिद्ध जेहा, नांणावाल सुनिधि धरकटकाल[वाल ?] सुथेहा, चित्रावाल कोरंटवाल चवि सोनीवाल सुचित, सोझितवाल दानी सरस नागरवाल सुनित. २ मोढवाल मतिवंत जालहरवाल सुजाणुं, लाडवाल कालखदेण(?) कपोलवाल सुकिताj; चंडाइत धरती चवित वायडा जांबूसराजदेवा, बाचवाल बलबुधि नाग-हा सुभनेवा, करहीयां भटेरा कहां मेवाडा मोटै मनै, नृसिंघपुरा दीपै निधै कथरोटीआ छाजै कनै. ३ संख्या ४० हमेरवाल कहि हेत सिरखांडा सुविचारी, वायसीया वडविध सस्तकीआ आचारी; कंबोवाल भारी करग झीझटीआ भलवारी, भेमडीआ दाखां भला बांभणीआ रिंधुबारी, श्री गुरू अछितवाल-सुं काटहडा मकवांणरा, निसोरा पोरूआ निपट लाडीरसंखा सांणरा. ४ वधनेरीआ कहि विध राजेश्वरीआ वडराजा, वधेरीआ नेमा वदे हूंबड पदमावतीआ हाजा; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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