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समयसुंदरकृत सत्याशिया दुकाळनुं वर्णन
अठ्यासी कहै एम, म करो तुम्ह चिंता, मुनिवर, करौ क्रिया अनुष्ठान, तप जप संजम तत्पर, वांचो सूत्र-सिद्धांत, भलउ धरममारग भाखउ, महावीरनो वेश, रीति रूडी परि राखउ, वखाण खाण थास्यै वली, श्रावक सार सहु करै, समयसुंदर कहै सत्यासीया, धीरज तउ सहु को धरै. ३५ दुरभिक्ष महादुकाल, वरस सत्यासीयउ - बूरो, दीठा घणा दुकाल, पणि एहवउ को न हूवो, सत्यासीया-सरूप, दीठउ मइ तेहवो दाख्यउ, गया मूआ गइंद, रह्यौ भगवंत तौ राख्यउ, रागद्वेष नही को माहरइ, मइ ख्याल-विनोदइ ए कीयउ, समयसुंदर कहइ सहु सुखी, कवि कल्लोल श्राणंद करउ. ३६ [जैन युग, भाद्रपद १९८५थी कार्तिक १९८६, पृ.६८-६९ तथा
वैशाख–जेठ १९८६, पृ.३५३-५५]
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