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प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह
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ज्ञाति शाखा प्रशाखा. अनइ वली जेह श्री महम्मद पातसाह तणी सोम्य द्रष्टि छइ दर्शन, आपणा आपणा धर्मशास्त्र वांचइ, श्री देवगुरूतत्त्व राखई, विद्याबलि माचई. किसिओ कहीई ते छई दर्शन, सांभलि, जिम सरोवर माहि मानससर, जिम दातार मांहि जलधर, जिम समुद्र मांहि स्वयंभूरमण, जिम धनमाहि वैश्रमण, जिम तेजवंतमाहि सूर, जिम वाजित्र माहि तूर, जिम सर्व दर्शन माहि धर्म विद्या महिमा करी प्रधान श्री जैन दर्शन जाणिवं, जिहां निरतीचार - चारित्रपात्र, मलमलिन गात्र, तपोधन तपोधन, श्री वयरस्वामितणी शाखाई छई, जीवनिकाय राखई, दयामूल धर्म भाखरं, सर्व आरंभ पाखई मोक्षमार्ग दाखइं, जिहां श्रावक श्राविका श्री वीतरागदेव पूजनं, तिहां हवडा, गंगाजलनिर्मल, ज्ञानक्रियानिधान सर्वगच्छप्रधान, अतुच्छ श्री तपागच्छ विसेषिईं दीपइ. अनेराइ चहदसिआ, पूनिमिआ, वडगच्छ, खरतर, मलधार, आंचलिआ, आगमिआ, आगुरिआ, पीपलीआ, मडाडा, देहराती, ब्राह्मणा, विद्याधर, थिराद्रा, नायला, नाणावाल, चित्रावाल, कोरंटावाल, ओसवाल, एवमादिक घणा गच्छ मिथ्यात्व उथापइं, श्री जिनधर्म थापइ. तथा बीजई दर्शनि, नैआयक, कपाली, घंटाला, पाहू, केदारपुत्र, च्यापरिअ, गडवी, पती आणा एवमादि. त्रीजइ दर्शनि, सांख्य, भरडा, भगवंत, त्रिदंडिआ, मूनी, कवि, कूडा, एवमादि भेद. चउथइ दर्शनि बौद्ध, सातघडिआ, दगडा, डांगुरा, भांड, पावया, गरोडा, वासबेडिआ एवमादि भेद, पांचमई दर्शनि वैशेषिक, ब्राह्मण, आवस्तिआ, आग्निहोत्रआ, दीक्षित, जानी, दुवे, त्रिवाडी, व्यास, जोसी, पंडित, बडूआ एवमादि भेद. छठई दर्शनि नास्तिक, योगी, हरमेखलिआ, इंद्रजालिआ, नागमतिआ, तोतलमतिआ, धनंतरिआ, नोरसिआ धातुर्वादिआ एवमादि भेदप्रभेद बहुल छइ दर्शन कहिईं. अनइ वली, श्री महम्मद पातसाह तणइ राजि, चारि वर्ण, नव नारू, पाच कारू ए अढार प्रकृति सदा सुखित, मदमुदित वसई. तिसिउ राजाधिराज, सर्ववयरी जीपतु, सूर्यनी परिइं तेजिइं दीपतु, तुरष्ककुलमंडन, सोमतणी परि सोम्यदर्शन, प्रजापीहर, सेवक-सदाफल, सुरत्राण, श्री महम्मद पातसाह, तणु पुन्न तूर वीराधिवीर, श्री महम्मद पातसाह वर्णवीतु शोभइ. ( एक जूनी प्रत )
[जैन श्वेताम्बर कोन्फरन्स हेरल्ड, जान्युआरी १९१६, पृ.२६]
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