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समयसुंदरकृत सत्याशिया दुकाळजें वर्णन.
(सं.१६८७मां गुजरातमां पडेला महादुकाळनु आ वर्णन छे. आ वर्णन सं.१६८८मुं वर्ष सुखकारीभर्यु नीवड्या पछी कविए कर्यु जणाय छे. आ उपरांत कविए पोतानी एक कृतिमां आ दुकाळनुं वर्णन गुजरातीमां कर्यु छे ते माटे जुओ आ कवि परनो मारो निबंध (आनंदकाव्य महौदधि मौ.मुं). कविए संस्कृतमां पण आ दुकाळजें वर्णन कर्यु छे. (जुओ मारो जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास) )
[श्री देशाईए सौप्रथम एक पानानी एक प्रत जेनुं बीजं पान मळ्युं नहोतुं तेने आधारे १६ कवित छापेलां. (क प्रत) पछी अगरचंद नाहटा पासेथी मळेली २४ कवितवाळी बे पानांनी प्रतने आधारे केटलीक पाठशुद्धि नोंधी अने वधारानां कवित - अहींना क्रमांक ४,८,१०थी १२, १६थी १८, २०, २०थी २५ - आप्यां. (ख प्रत) अगरचंद नाहटा संपादित 'समयसुंदर-कृति-कुसमांजली'मा ३६ कवितनी पूरी कृति छपाई छे (ग प्रत) अने पाठांतरो पण नोंधवामां आव्यां छे. (घ) अहींनां छेल्लां आठ कवित एमाथी छे. उपर निर्दिष्ट करेला संकेतोथी अहीं पाठांतर पण दर्शाववामां आव्यां छे. कृति अन्यत्र अखंड छपाई होवा छतां देशाईनुं संपादन एना केटलाक पाठने कारणे साचवी लेवा जेवू गण्डे छे.
समयसुंदरना परिचय माटे जुओ 'जिनचंद्रसूरि संबंधी त्रण गीतो.' कृति 'जैन गुर्जर कविओ' तथा 'गुजराती साहित्यकोश खंड १'मां नोंधायेली छे. कृति सं.१६८८मां रचायेली छे ते अंतभागमा स्पष्ट छे. एटले 'जैन गूर्जर कविओ' मा र.सं.१६८७ दर्शाववामां आवी छे ते भूल छे. - संपा.]
रूडी' श्री गुजराति देश, सगलामां दाखी, धर्म कर्म सुविवेकर, मुखइ लोक मीठं भाखी, सुखी रहि शरीर, शाक तो सखरा भावई, उंचा करइ आवास, लाख कोडि द्रव्य लगावि, गेहीनी-देह गहणे भरइ, होसि लोक तणो हीओ, समयसुंदर कहि सत्यासीओ, असइ पड्यो अभागीओ. १ जोयो टीपणो जाण, साठ संवच्छरी साथि, गुराचार शनिचार, हुता ते लीधा हाथि, कपूरचक्र पणि काढि, जाण जोतकीए' जोओ, आराधक थया अंध, खिजमति फल सघलो खोयो,
१. ग. गरूइ, २. ग. परधान ३. ग. लोक मुख मीठु भाखी, ४.ग. इसडह, ५. ख.ग. ज्योतिषीए.
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