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________________ ४२९ - महमद पातशाहनुं वर्णन (आ वर्णनमां ज्ञाति वगेरेना जुदाजुदा प्रकार ऐतिहासिक दृष्टिए ध्यान खेंचे छे.) गजैस्तुरंगैश्च पदातिवृदैः षट्-त्रिंशता राजकुलैश्च सेव्यः, पाता प्रजानां विजयी विभाति भूषः सुरत्राण-महम्मदाह्वः. १ आसमुद्रांत पृथ्वी तणु स्वामी, मर्यादा मयरहर, शरणांगत-वज्रपंजर, परनारीसहोदर, रद रावण, सत्यप्रतिज्ञा हरिश्चंद्र, न्याय श्री राम, दानी श्री विक्रमादित्य, कलिकाल कर्ण, धनुर्वेदि द्रोणाचार्य, प्रकट प्रताप, श्री महम्मद पातशाह. भद्रजाती, मृगजाती, मिश्र जाती, मदकल गजेंद्रघटा, अनई जात्य घोडा, हरीडा, नीलडा, गोरडा, कालूआ, कीसोडा, रातडा, सेराहा, खुरासाणी, सींधवा, पारिसा, कंबोजा, काजूजा, काछेला, तेजी तुखार एवमादि तुरंगम. अनइ खान, खोजा, मीर, मलिक, मला, मलालिम, खतीब, सिदकादी, हाबसी, बलोखी, बंगाली, दक्षिणी, तिलंगा, काह्नडा, अनइ, प्रधान पोतदार, परिवरिउ. अनइ सूर्यवंश, सोमवंश, यादव, कदंब, इक्ष्वाकु, चहुआण, सोलंकी, मोरिअ, सेलार, छिंदक[बिंदक], चाउडा, पडिहार, लुब्धकार, राठउड, शाक, करकठ, गुहिल, धान्यपाल, राजपाल, कालुबक, दिल्ल, डाभी, वागडी, धर्कट, वंश राजकुली. अनइ अनेराई वाघेला, झाला, देवडा, बोडा, जाडे, चाचूडा, समा, सोढारा, राठी, काठी जेहनी सदा नीपजावई सेवा, अनइ जे श्री महम्मद पातसाह तणी छत्रछायाई, विवेकनारायण गूजरदेशाभरणि श्री अणहिलवाडइ पाटणि, अहम्मदावादि नगरि, अनइ खंभाइति श्री धर्म तणइ आगरि, अनेरइ गामि नगरि पाटणिए चउरासी ज्ञाति महाजन तणी सांभलि प्रतिपन्नपाली श्री श्रीमाली, प्रकट प्रताप पोरूआड, अरडकमल्ल ओसवाल, भला दीसई डीसावाल, डीडू, हरसुरा, वघेरवाला, भाभूखंडा, अडमेडत्तवाल, दाहिण सूराणा, खंडेरवाल, कथरूटिआ, कोरंटावाल, जोधसोन, जाइल्लवाल, नागर, नाणावाल, खडायता, पल्लीवाल, जालहरा, वायडा, चित्रवाल, छांचा, कपोल, पुष्करवाल, जंबूसरा, नागद्रहा, सुहडवाल, मुढेरा, करहिआ, उग्रवाल, बांभण, अच्छित्तवाल. श्रीगुड, गूजर, श्रीमाल, प्रोढ, अडालिजा, मांडलिआ, गांभूआ, मोढ, लाडूआ, श्रीमालीया, लाड, जागड, सोरठिआ, पोरूआड, नयसरूस्तकी, नरसिंघउरा, हालर, पंचम, काथउरा, वाल्मीक, कंबो, तिसुरा, तेलुउटा, अष्टवग्री, बघप्पुरा, सिरिखंडेरा, मेवाडा, लोडिआडा, काटजिणडा, जेहराणा, सोहरिआ, धाकडा, मुहवरया, भडिआ, मूंगडिआ, हुंबड, नीमा, मजहडा, ब्राह्मणा, वागडू, चीत्रउडा, वीघू, माघसुनाउरा, पद्मावती, काकला, आणंदुरा, मंडोर, साचुरा, गोलावाल, राजउरा, लाडीसखा, आउसखा, चउसखा, एवमादि साढी बार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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