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खेताकृत अगमवाणी निसाणी
करसी इसी मंडोवरौ, दाडिम दीवाणै, जेती धरती तुअरा जी चहुवाणै. एती आण वरतसी राठोड घराणे, के भणियां के जोतिषी के आगम जाणे. आका ऊथलपथल आइ ढूका टाणे, औ वातां औली नही पले फूरमाणै. खेत से पाबू कहै बोल ठिकाणै,
हिवै होसी हो ठाकरा दि हिंदवाणै. - इति अगमरूप वाणी नीसाणी. (सत्याशिया दुकाळना वर्णननी प्रतने अंते)
[जैन युग, भाद्रपद १९८५-कार्तिक १९८६, पृ.३५५]
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