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________________ ३४० प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह द्रेठि, दुष्ट क्षुद्र नीकलीउं तउ हेठि. तथा – कुणहं एकं व्यंतरि अवतारि, इसिउं बोलिउं वचन सुविचारि, तुम्हारउं गुरु तेज अम्हे सही न सकउं ए वात सही.. तथा – रात्रिइं पडिकमणानइ कालि, जेह तणा ओघा विचालि, दीसतउ तेजनउ विकाश, जीणंई थातउ कांई एक प्रकाश, जेहना ईस्या अनेक प्रभाव ते सव्वे किम बोलइ अजाणस्वभाव. जे श्री गुरुरहई १३५५ जन्म, १३६७ दीक्षा, १३७३ श्री सूरिपद, १४२४ स्वर्गसंपद. यथा - जो छंद लक्खण तक्क आगम पमुह ग्रंथ सुजाणओ, जो भव्व-माणस-कमल-काणण-बोहणे नव-भाणुओ. सो संघलोयण अमियअंजण सरिस मूरति नंदओ, सिरि सोमतिलओ सूरितिलओ जाम तिहुयणि चंदओ. १ श्री सोमतिलकसूरिना ३ शिष्य, अतिहिं दक्ष. अनेक स्तुति स्तोत्र सूत्रण सूत्रधार, निरंतर विद्याना सत्रूगार, प्रतिबोधित अनेक अनार्य, श्री चंद्रशेखर आचार्य. अनइ सकलविद्या-कंठकंदलहार, स्थूलभद्रचरित्र प्ररूपणहार; नंदपद्रि वर नगरि, अनेक देशांतरागत अनेक विद्वांससभा अभ्यंतरि, वचनकला निर्मित स[क]ल सभा आणंद, सूरि श्री जयाणंद, जेहरइं साजण भाई दीक्षा अंतराय कर[त]उ, देवतां चपेटां आहणी कीधउ मानतउ. ___अनइ त्रीजा शिष्य श्री महावीरथिकउ ४९ पाट-धुरंधर, श्रीमत् श्री देवसुंदरसूरि गुरुपुरंदर. जे श्री देवसुंदरसूरि गुरु महाभाग्यवंत, गुहिर गंभीर, निर्जितकंदर्पवीर, अनेक गुणमणितणी खाणि, अमृत समान वाणि, श्रीसंघलोकमानसहंस, सुविहितसूरिमस्तकअवतंस, निस्संगचूडामणि, सकलजाण-शरोमणि, सर्वविद्या तणउ आगार, नवकल्पविहार, बइतालीसदोषवर्जित आहार, श्री जिनशासनशृंगार, युगप्रधानावतार, सायर जिम गंभीर गुरु तपतेजिहिं नवभाणु, गंगाजल जिम निम्मलउ गुरुअडि मेरु समाण. १ अपमत्तउ भारंड जिम गुत्तिंदिय जिम कुम्म, पंकय जिम निल्लेव बहु लक्खण वंजण रम्म. २ सिरिजिणसासणनहयलदिणयरसरिसं थुणेमि मुणिरायं, सिरिदेवसुंदरगुरुं भारहखित्ते जुगपहाणं. ३ जिणि लीलमित्तिइं मयण जीतउ सयल तिहुअण-सल्लउ, जो सयल सुविहियसूरिमस्तकरयणसेहर तुल्लउ. सोभागसुंदर गुरु पुरंदर वयणि जणमण मोहए, सिरि देवसुंदरसूरि गणघर वीरसासणि सोहए. ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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