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________________ ३३६ प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह सीखी, त्रिनि वरस पडखी, कीधउ राजसभा चमत्कार, पछइ हऊ दीक्षा अंगीकार, जेहनी घणी वार देवे परीक्षा कीधी, तउ आकाशगामिनी शक्ति दीधी, क्रमई पछड गणघर पदवी सीधी. अनइ जीणंई महाविकरालि, दुर्भिक्षनइ कालि, पटविद्यां संघ उद्धरी, जिनशासनि प्रभावना करी, जेह लगइ च्यारि ज्ञान अनइ कोट्यंश मंत्र आविउ, कालविशेषिइं आघउ न चालिउ. तेह तणइ पाटि १४ श्री वयरसेन, तीणं भागी मोहनी-सेन, जीणं न्याय-नीति तणइ आगरि, सोपारइ नगरि, नागेंद्र चंद्र निवृत्ति विद्याधर, गुणमणि तणा सागर, ईश्वरी श्राविकाना ४ पुत्र, दीक्षा देईनइ कीधा पवित्र, तेहं थिकउ ४ शाखा प्रवर्ती. आधी निवृत्ति शाखा न प्रवर्ती. अनइ श्री चंद्र आचार्य थिकउ ए चंद्रकुल, प्रवर्तिउं श्री चंद्रनी परि निर्मल. तेह तणइ पाटि १६ देवदेवीने देवकुलि कसणहार, भीम उपसर्गनउ सहणार, पूर्वगतश्रुतधारक, अरण्यवासकारक, सूरि श्री सामंतभद्र, जिनशासनि हऊउ उनिद्र. तेह तणइ पाटि १७ वडउ श्री देवसूरि. तेह तणइ पाटि १८ श्री प्रद्योतनसूरि. तेह तणइ पाटि १९ श्री मानवदेवसूरि, पुण्यलक्ष्मीतणइ मूलि, जेहे रहे हूंते नडुलि, नगरि सयंभरि मोकलिउ शांतिस्तव, तीणइं विलय गियां संघमाहि अशव. तेह तणइ पाटि २० महिमाउत्तंग, सूरि श्री मानतुंग, जेहे सुप्रभाव ४४ महाकाव्य भक्तामरस्तव जोडी, धाणीनी परि बडबडाट करती ४४ महाअठील फोडी. तेह तणइ पाटि २१ अतिआर्य, श्री वीराचार्य. तेह तणइ पाटि २२ भव्यजीवकृतसेव, सूरि श्री जयदेव. तेह तणइ पाटि २३ सदा परमानंद, सूरि श्री देवानंद. तेह तणइ पाटि २४ जितमोहपराक्रम, सूरि श्री विक्रम. तेह तणइ पाटि २५ बोधितहिंसकयक्ष: श्री नरसिंहसूरि दक्षः. तेह तणइ पाटि २६ गुणसमुद्र, सूरि श्री गुणसमुद्र, जेहे जीपी दिगंबर, नागद्रुह तीर्थ कीधउं श्वेतांबर. तेह तणइ पाटि २७ श्री मानदेवसूरि, अंबिकादत्तसूरिमंत्रकरी गियां कश्मल दूरि, जेह सिउं १४४४ प्रकरणम्उ करणहार, वौधदर्शननिर्धाटनहार, याकिनीसून, महिमा अनून, हरिभद्रसूरि, मैत्री नीपजावइ भूरि. तेह तणइ पाटि २८ श्री विबुधप्रभसूरि. तेह तणइ पाटि २९ श्री जयानंदसूरि. तेह तणइ पाटि ३० श्री रिव(रवि) प्रभसूरि गरिष्ट, जेहे नड्डुलपुरि श्री नेमि कीध प्रतिष्ठ. तेह तणइ पाटि ३१ श्री यशोदेवसूरि. तेह तणइ पाटि ३२ श्री प्रद्युम्नसूरि, जेहरई तपोनियमोपधान तणी घणी सिद्धि, तउ उपधानि आइसी हुई प्रसिद्धि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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