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________________ २३८ प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह राग सारिंग मल्हार; धण समरथ प्रीउ नान्हडो - ए देशी अचलगढ भेटया हवइ, पीतलमय चउमुख जिनराज, वाल्हेसर सुणो वीनती मया करी मुजरउ लीउ, ऋषभजी मोरो गरीबनिवाज, वाल्हेसर सुणो वीनती. २२ रीरीमें बेहु भला काउसगीआ तिहां कंचणकंति, वा. प्रतिमा पिसतालीस तिहां फिरतीमां बइठी छइ पंति, वा० २३ सहसा सुलताने कीउ, ए चउमुख सखरउ प्रासाद, वा. पीतल मण सईं चउदनी, प्रतिमा बार भली आहलाद, वा. २४ पांचसईं लघु प्रासाद छइ, प्रतिमा पांच मनोहर जेह, वा. वांदीने तिहांथी वलिउ, आविउ कुंथुनाथ जिनगेह, वा. २५ साह खेतई मोदई कीउ, ए प्रासाद मनोहर सार, वा. मूलनायक श्री कुंथुजी, पीतलमय प्रतिमा श्रीकार, वा. २६ बिंब बिसें त्रिपन भला, भेटीने भांजीतें भवभ्रांति, वा. कुमरविहारें तिहां थकी, गयो जिनवंदन मनि एकांति, वा. २७ पांसठि प्रतिमा-सिउं तिहां, सोलसमा श्री शांति जिणंद, वा. भेटी जिन सफलउ कीउ, वारिउ दुख दोहग सवि दंद, वा० २८ हुंसि हती जे माहरी, पूरण तेह चढी परमाणि, वा० । यात्र करी जिनवर तणी, आज थकी थयो सफल विहाण, वा. २९ ढाल झूबखडानी त्रीजें मासे जनमथी, पामिउ तिलक पडूर, कुमर पुण्येसरू, दोसी उत्तमचंदजी, ले चलिउ संध सनूर, कुमर पुण्येसरू. ३० सुखशाता-सिउ तेहना, संघ मांहे सुविचार, कु० चैतर वदि दशमी दिने, यात्र करी सुविचार, कु. ३१ चडतां डूंगर ऊपरि, प्रगटी वादल छांहि, कु० संघ सयल सुखीउ थयउ, आदीसर ग्रही बांहि, कु. ३२ जगजीवन जगबंधु तुं, तुं मुझ माय तुं ताय, श्री ऋषभ जिणेसरू, चिंतामणि सुरतरू थकी अधिक तमे सुखदाय, श्री ऋषभ जिणेसरू, ३३ महिर करउ महाराजजी, मुझ दुस्तरनि तारि, श्री. अजू अमरपद आपयो, आवागमण निवारि, श्री. ३४ नवनिधि तुझ दरिसण लहिउ, पामिउ अष्ट महासिद्धि, श्री. दउलति हूइ दीपती, आवी अविचल ऋद्धि, श्री. ३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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