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ज्ञानसागरकृत आबूनी चैत्यपरिपाटी
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कलश
इम संस्तव्या अरबुद-अचलमंडण सयल जिणहर जिणवरा, त्रिजगनायक सौख्यदायक, दुरित दोहग दुखहरा, अंचलगछ बुध ललितसागर, सीस माणिकसागरू,
तस विनयी सेवक न्यानसागर, भणइ भावभगतिभरू. ३६ - इति श्री अर्बुदाचल चैत्य परपाटी संपूर्णम्. श्रेयम्. .
[जैनयुग, वैशाख–जेठ १९८६, पृ.३५१-५२]
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