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प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह संकट पास जिणेसर चूरइ, आकु-सामी प्रत्या पूरइ, पंत्रीसा सुबिंब, भवण देखी ऊपन्नी सुमति, तेर बिंब-स्युं भे[वं]द्या सुमति, कुमति हरइ अविलंब. १३
वस्तु संघ चउविह मली मनरंगि, चैत्र-प्रवाडि चालिआ आदि देव वंदउं श्रेयांस, चंद्रप्रभ आदिल जाणीइ, चिंतामणि पूरवइ आस, पास जिणेसर जागतु, आका-भुवण मझारि, सुमतिनाथ पूजी करी, रास रमई नरनारि. १४
भाषा वीर-विहार पुहुत्त जाम पावडिआं साठि, चडतां करम विषम तणीअ तिहां छूटई गांठि, कोसीसां कोरणिअ बारि मूलइ नही माठि, दीठे मागउं सामि पासि सेवानी पाठि, बालई साहिं ऊधरिउ ए विजयमंदिर प्रासाद, उंचपणइ दीसइ सिउ ए निरमालडी ए रवि-सिंउं मंडइ वाद; मणोर हीए. १५ पहरीय पीत पटूलडीअ खीरोदक सार, कस्तूरी चंदन घसीअ केसर घनसार, चंदन मरूउ मालतीय बहु मूल अपार, धामी धामिणि भाव-सिउंअ पूजइ सविचार, उसवंस-कुल-मंडणउ ए बालागर सुविचार; त्रिसलानंदन थापिउ ए, निर० भरई सुकृतभंडार. म. १६ त्रिणि सई अठ्ठावीस बिंब, ते टालइं शोक, तोरण शिखरह दंडकलस कोरणि अति रोक, धज-पताक ए इम कहइ, संभलज्यो लोक, वीर जिणंद न भेटसिई, तेह जीविउं फोक, जिमणइ पासइ पोखिआ ए, सामी पास सुपास; रतनागरि रंगिं थापीआ ए, नि. पूरवइ मननी आस. म० १७
खेलामंडपि पूतलीअ नाचंती सोहइं, रंभा अप्सर सारखीअ कामीमन मोहई,
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