SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 244
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२९ जयहेमशिष्यकृत चितोड चैत्यपरिपाटी द्राखपानना मंडवा ए सेलडी वाडी वन, वापी कूप खडोकली, ए दीसइं राजभवन, कलस सोवनमय झगमगई ए कोसीसां-ओलि, कोरणिमंडित थंभश्रेणि घडीआला पोलि. ४ नयरसिरोमणि चित्रकूट उंचउ सुविशाल, धण कण कंचण भरिअ भूरि चउटां चउसाल, शिव जिन शासन देहरा ए मुनिवर-पोसाल, श्रावक श्रावी पुण्य करई मन रंगि रसाल. ५ तिणि नयरि सीसोदिआं ए कुलमंडण जाण, गढपति गजपति छत्रपति सहु मानइ आण, बंदी जय जय उचरई ए वाजई नीसाण, राज करइ रायमल्ल राण तेजिं जिसिउ भाण. ६ वस्तु गोयम गणहर गोयम गणहर समरि सरसत्ति, सुगुरू पसाय लही करी रचिसु चेत्रप्रवाडि सारीअ, चित्रकोट नयरह तणा गुण थुणइं बहु नरह नारीय, गढ मढ मंदिर झगमगई वाजई ढोल नीसाण, राज करई रायमल्ल राण तेजिं दीपइ भाण. ७ भाषा स्वर्गपुरी लंका अवतार, व्यवहारिआ तणा नही पार, सारसिंगार करंति तु जयु जयु, राजइं राजकुली छत्रीस, वासि वसईं वर्ण छत्रीस, बत्रीस जिण पूजंति. ८ चालउ चेत्रप्रवाडि करीजई, माणसजन्म तणउं फल लीजइ, कीजइ निरमल काय, रंगि सहिअ समाणी आवु, चाउल अक्षित चुक पूरावु, गावु श्री जिनराउ. ९ पहिलं श्री श्रेयंस नमीजई, त्रिणि काल जिणभगति करीजइ, असी बिंब पूजंति तु जयु जयु, आगलि सोम चिंतामणि पास, सुमति सहित त्रिणि सई पंचास, आस पूरइ एकंति. १० थंभणि थाप्या वीर जिणंद, पय सेवई नरनारीवृंद, दंद सवे टालंति तु, चउपन्न बिंब-सिउं आदि जिणेसर, हरखिइं थाप्या संघपति इसरि, केसरि पूज करंति तु. ११ मुगति-भगतिदायक बईठा प्रभु, एकसउ त्रीस-सिउं चंद्रप्रभ, चउमुख भुवण मझारि, नाभिराय-कुल-कमल-दिणंद, दस मूरति-सिउं आदि जिणिंद, वंदई बहु नरनारि. १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy