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प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह
एगुणवीसम देवभवणि संतीसर वंदउं, रिसह दिलावरि वीसमइ ए अरचीय वीर नंदउं; सुपरि फतेपुरि संतिनाहि इकवीसम जिणहरि, नमिय हुसंगाबादि नेमि गाइसुं मधुरई सरि. २० जगि जयवंत जुहारीयईं, मूलबिंब चउवीस; भाव भगति पूजी करी, पूरिसु मनह जगीस. २१ अहे सयल बिंब सय पंच अनइ बासठ्ठि नमीजइ, भंडारिहि जे अछईं देवसेवा नितु कीजई; रूप्प रयण सोवन्न बिंब श्री जावडकारीय, नमिसु अनेरी सयल तित्थ निय मणि संभारीय. २२ इणि परि चैत्यप्रवाडि रची मंडवगढि हरिसिहिं, संचीय सुकृतभंडार सुगुरू सोमधजगणि-सीसिहि, फागबंधि जे पुन्यवंत नारी नर गावईं;
खेमराजगणि भणइ तेइ यात्राफल पावईं. २३ - इती श्री मण्डपाचलचैत्यपरिपाटी सम्पूर्णा..
[जैनयुग, महा-फागण-चैत्र १९८५, पृ.३३२-३३]
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