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खेमराजकृत मंडपाचल (मांडवगढ) चैत्यपरिपाटी
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भास संतिनाह तीजइ भवणि, चउथइ संभव सामि; आदिजिणेसर पंचमई, प्रणमउ सुभ परिणामि. १२ अहे छठई जिणहरि श्री सुपास आसा मन केरी, पूरई चूरइ दुख्खरासि वाजइ जसभेरी; खानपुरि हि जिण मूलबिंब इणि परि जोहारलं, द्रव्य भाव बिहुँ भेटि पूज करि दुरिय निवारउं. १३ धरमधुरंधर धार मांहिं सीमंधर सामी, सत्तम जिणहरि कणधवन सेवइं नितु धामी; उरि मुगताफल हार सार बिहुँ कानिहिं कुंडल, सिरि वर छत्र विसाल भाल सोहइ भामंडल. १४
भास अठम जिणहरि संतिजिण. नवमड रिसह जिणंदोः भाविक-चकोरह रंजवई, जसु मुख पूनिमचंदो. १५ अहे दसमई देउलि मलिय माण मरूदेवानंदण, बहुय बिंब-सउं नमिसु देवजणमणआणंदण; इग्यारमई रमई अपारमति नेमिकुमारो, यादवकुलसिंगारहार राजल-भरतारो. १६ बारम जिणहरि हरिखपूरि चिंतामणि पासो, गाइसु गरूयई रंगि अंगि आणी उल्लासो; सुमति तणउ दातार सुमति तेरमइ जुहारलं, अष्टापदि चउवीस देव सेवा नितु सारउ. १७
भास चउदसमई जिणवर जयउ, जिरावलि प्रभु पासो; पनरसम जिणहरि संतिजिण, सेवउ महिमनिवासो. १८ अहे सोलम जिणहरि पासनाह सलहीयई अपारो, सामलवन्न पसन्न जयउ अससेण-मल्हारो; संतिजिणेसर सतरमइ ए निय मणि समरेवउ, पूजीय अजिय अढारमइ ए जीविय-फल लेवउं. १९
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