________________
प्रत्यक्ष प्रमाण
न्यायमंजरीकार जयन्त जिस पंचविध-कल्पनास्मक सविकल्पक को बौद्धों ने प्रत्यक्ष प्रमाण कोटि से बहिष्कृत किया है, वही न्याय-वैशेषिक में सविकलपक प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में स्वीकृत है। जयन्तभट्ट ने सविकल्पकज्ञान की प्रत्यक्षता को स्थापित करते हुए कहा है कि समयस्मरण की अपेक्षा होने पर भी सविकल्पविज्ञान सन्निकर्षजन्य न होने के कारण अप्रत्यक्ष नहीं कहा जा सकता । विशेषण विशेष्यज्ञानादि सामग्री की अपेक्षा होने से अधिक आयाससाध्यत्त्र को सविकल्पक के अप्रामाण्य का प्रयोजक नहीं माना जा सकता । जयन्त ने इस दूषण को भूष ग बतलाने के लिए एक सुन्दर तर्क दिया है कि गिरिशिखर पर चढ़कर जो वस्तु का ग्रहण किया जाता है, वह अप्रत्यक्ष नहीं कहा जा सकता ।
वाचस्पति मिश्र सर्वदर्शनकाननपञ्चानन वाचस्पति मिश्र ने भी सविकल्पक ज्ञान की प्रत्यक्षता की सुरक्षा के लिये युक्तियाँ दी है। उनका कथन है कि स्मरणसहकृत इन्द्रियार्थसन्निकर्ष से उत्पन्न होने के कारण उनकी इन्द्रियार्थसन्निकर्षजन्यता का विलोप नहीं होता। इसकी मानसत्वसिद्धि की अपेक्षा इन्द्रियजत्व में ही प्रयास उचित होगा। सविकलपक ज्ञान निर्विकल्पक ज्ञान की अपेक्षा पश्चात् उत्पन्न होने पर भी इन्द्रियार्थसन्निकर्षजन्य होने के कारण प्रत्यक्ष तो होता ही है ।
भासर्वज्ञ सविकलपक प्रमा के प्रत्यक्षत्व के विषय में भासर्वज्ञ भी सभी के साथ है। इसीलिये सविकल्पक को प्रत्यक्ष के विभागों में स्थान दिया है । सविक पक की परिभाषा इस प्रकार की गई है
'तत्र संज्ञादिसंबन्धोल्लेखेन ज्ञानोत्पत्तिनिमित्तं सविकल्पकम् । यथा देवदत्तोऽयं दण्डीत्यादि ।
1 तदेवं एमयस्मरणसापेक्षत्वेऽपि नेन्द्रियार्थसन्निवर्षात्पन्नतामतिवर्तते सविकल्पकं विज्ञानमिति कथमप्रत्यक्षम् ? .. न हि वहुक्लेशसाध्यत्वं नाम प्रामाण्यमुपहन्ति, उक्तं च न हि गिरि.
शृंगमारुह्य यद गृह्यते तदप्रत्यक्षम् | --न्यायमजरी, पूर्वभाग 1, पृ. ८९. 2 न च तस्मरणसहकारिणेन्द्रियार्थसन्निकर्षणोपजनितं तदिन्द्रियार्थसन्निकर्षणोत्पन्न न भवति ।
यस्तु भवताम-य मानसत्वे प्रयासः स वरमिन्द्रियजत्व एव भवतु । तथा सति दर्शनव्यापारत्वमस्य साक्षात्समर्थित भवति ।...पश्चाज्जायमानमपि इन्द्रियार्थसन्निकर्षप्रभवतया प्रत्यक्ष
भवत्येव ।-न्यायवार्तिकतात्पर्यटीका, 1.1.४...... 3. न्यायसार, पृ. ३-१.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org