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एक दिन राजा ने एक मुर्गा भेजा और आदेश दिया कि दूसरे मुर्गों की सहायता के बिना लड़ाकू बनाकर भेजो ।
रोहक ने मुर्गे के सामने एक बड़ा दर्पण रख दिया। मुर्गा दर्पण के मुर्गे को देखकर उसके साथ युद्ध करना सीख गया ।
एक दिन राजा ने एक बूढ़ा हाथी भेजा और कहा कि इसके समाचार भिजवाते रहना. लेकिन कभी यह न कहना कि हाथी मर गया है ।
अगले दिन रोहक से पूछकर गांव वाले राजा के पास पहुँचे । उन्होंने निवेदन किया-महाराज ! हाथी न कुछ खाता है, न पीता है, न उसकी सांस ही चलती है। राजा ने पूछा-तो क्या वह मर गया है ? गांव के लोगों ने उत्तर दिया-यह तो हम नहीं कह सकते ।
राजा ने और भी अनेक प्रकार से रोहक की परीक्षा ली । उसकी बुद्धिमत्ता से राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उसने रोहक को बुलवाया । लेकिन शर्त थी कि वह न शुक्ल पक्ष में आये, न कृष्ण में, न रात में, न दिन में, न छाया में, न धूप में, न आकाश में होकर, न पैदल चलकर, न गाड़ीघोड़े पर सवार होकर, न सीधे रास्ते, न उल्टे रास्ते, न नहाकर, न बिना नहाये, परन्तु आना उसे अवश्य चाहिये ।
राजा का आदेश पाकर, रोहक ने सुबह उठकर आकण्ठ स्नान किया और गाड़ी के पहियों के बीच एक मेंढ़ा जोत, उसपर सवार हो, चलनी का छाता लगा, एक हाथ में मिट्टी का पिण्ड ले, अमावस्या के दिन, संध्या के समय राजा के दर्शन के लिए चल पड़ा।
राजा ने प्रसन्न हो रोहक को प्रधानमंत्री बना लिया ।' १. आवश्यक चूर्णी, पृ० ५४५-४६ । औत्पातिकी बुद्धि का यह उदाहरण है। औत्पा
तिकी में भरतशिला, पणित, वृक्ष, क्षुल्लक, बाल, पट, तरट, काक, उच्चार, गज, भाण्ड, गोल, स्तंभ, क्षुल्लक शिष्य, मार्गस्त्री, पति, पुत्र, मधुसिक्थ, मुद्रिका, अंक, नाणक, भिक्षु, चेटक, शिक्षा, अर्थशास्त्र, इच्छा और शतसहस्र इन २६ उदाहरणों के लिये देखिये आवश्यक नियुक्ति ९३४-३६, उपदेशपद गाथा ५२-१०६, पृ० ४८-७१ । तुल. नीय बौद्धों के महाउम्मम्ग जातक से, जहाँ रोहक का काम महोसध नामक मंत्री करता है। विदेह के राजा को असाधारण मंत्रियों की आवश्यकता थी। यहाँ १९ प्रश्नोत्तरों द्वारा महोसध की परीक्षा की गई है । ऋग्वेद में नमुचि और इन्द्र की कथा आती है । नमुचि इन्द्र को निम्नलिखित शर्तों पर मुक्त करने को राजी हुआ था-वह उसकी (नमुचि की) न दिन में हत्या करेगा, न रात में, न दण्ड से और न आघात से, न तमाचे से और न घूसे से, न किसी गीली वस्तु से और न सुखी से । इन्द्र ने जल के झागों से, प्रातःकाल में नमुचि की हत्या करना उचित समझा । देखिए, 'असंभव प्रतीत होने वाली परिस्थितियों से कैसे बचा जाये-' नामक 'मोटिफ' संबन्धी एम. ब्लूमफील्ड का जरनल आफ अमेरिकन ओरिएंटल सोसायटी, जिल्द ३६ में लेख ।
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