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________________ "उसकी लघुशंका देखकर । और वह एक आँख से कानी है।" "कैसे पता लगा ?" "उसने एक ही तरफ की घास खायी है । और उसपर एक स्त्री और एक पुरुष बैठे हुए थे।" "कैसे जाना ?" "उनकी लघुशंका देखकर । और वह स्त्री गर्भवती थी।" "कैसे ?" "वह अपने हाथों का सहारा लेकर उठी थी। और उसके पुत्र पैदा होगा।" "कैसे पता लगा ?" "उसका दाहिना पांव भारी था । और वह लाल रंग के वस्त्र पहिने हुए थी। "कैसे जाना ?" "लाल धागे आसपास के वृक्षों पर लटके हुए थे ।' मंत्रीपद पर नियुक्त करने के पूर्व राजा पुरुषों की परीक्षा लेता और जो परीक्षा में सफल होता, उसे मंत्रीपद दिया जाता । अकबर और बीरबल को कहानियों के ढंग की निम्न कहानियों में बुद्धि का चमत्कार मुख्यतया देखने में आता है। चतुर मंत्री उज्जयिनी के राजा के चार सौ निन्यानवे मंत्री थे ; एक की कमी थी। राजा ने सोचा, जो परीक्षा में सफल होगा, उसे वह प्रधान मंत्री के पद पर नियुक्त करेगा। उज्जयिनी के पास नटों का एक गांव था । राजा ने गांववालों के पास एक मेंढा भिजवाया और कहा कि देखना, यह मेंढ़ा पंद्रह दिन बाद भी वजन में उतना ही रहे; न घटे, न बढ़े। उस गांव में भरत नामक नट का पुत्र रोहक रहता था अपनी प्रत्युत्पन्न मति के लिए वह दूर-दूर तक प्रसिद्ध था । रोहक से पूछा गया। उसने कहा-इसमें कान बड़ी बात है ? उसने मेंढ़े को एक भेड़िए के सामने बांध दिया और उसे घास खिलाता रहा । घास खाते रहने से मेंढ़े का वजन घटा नहीं और भेड़िए के डर से बढ़ा नहीं। १. आवश्यक चूर्णि, पृ० ५५३, आवश्यक, हारिभद्रीय वृत्ति, पृ० ४२३ । वैनेयिकी बुद्धि का यह उदाहरण है। इस प्रकार की कहानियाँ गुणाव्य की बृहत्कथा में रही होंगी। नंदिसूत्र (२६) में चार प्रकार की बुद्धियाँ बताई गई हैं-औत्पातिकी, वैनयिकी, कर्मजा और पारिणामिकी । अभयकुमार की बुद्धि के ये उदाहरण हैं । वैनयिकी में निमित्त, अर्थशास्त्र, लेखन, गणित, कूप, अश्व, गर्देभ, लक्षण, ग्रंथि. अगद, गणिका, रथिक, शीता शाटिका, तीब्रोदक, और गोछोटक के उदाहरणों के लिये देखिये आवश्यक नियुक्ति ९३८-३९, उपदेशपद गाथा १००-१२०, पृ. ७२-९१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002634
Book TitlePrakrit Jain Katha Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages210
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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