SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६९ उस समय नगर के बनिये का लड़का मर गया था । उसका क्रिया-कर्म करने के लिए लोग उसे श्मशान ले जा रहे थे । पहले पंडित ने पोथी - पुस्तक देखकर कहा - जिस रास्ते से बहुत लोग जायें, उसी रास्ते से जाना चाहिए । ( महाजनो येन गतः स पन्थाः) । ' चारों पंडित महाजनों के साथ चल पड़े । श्मशान में पहुँचकर उन्हें एक गधा दिखायी दिया । दूसरे पंडित ने पुस्तक देखकर कहा -- उत्सव होने पर, कोई दुख आ पड़ने पर, अकाल पड़ने पर, शत्रुजन्य संकट उपस्थित होने पर, राजद्वार पर और श्मशान में जो साथ रहता है, वह बन्धु है ( यस्तिष्ठति स बान्धवः) * तीसरे पंडित ने पुस्तक देखकर कहा धर्म की गति त्वरित होती है (धर्मस्य त्वरिता गतिः), अतः निश्चय ही यह धर्म होना चाहिये । चौथे पंडित ने कहा — बिल्कुल ठीक कहा आपने । लेकिन 'इष्ट वस्तु को धर्म के साथ जोड़ देना चाहिये' ( इष्टं धर्मेण योजयेत् ) । * यह सुनकर सबने उस गधे को ऊँट के गले से बांध दिया । धोबी को जब पता लगा तो वह उन्हें मारने दौड़ा। चारों ने भागकर जान बचायी । आगे चलने पर रास्ते में एक नदी पड़ी । नदी में पलास के पत्ते को तैरते देख एक पंडित ने कहा- - यह आने वाला पत्ता हमें पार उता देगा । १. २. श्मशान में रहने के कारण यह गधा हमारा बन्धु होना चाहिए । इसपर कोई गधे को गले से लगाने लगा और कोई उसके पांव धोने लगा । इस समय उन्हें एक ऊँट दिखायी दिया । ३. ४. श्रुतिर्विभिन्ना स्मृतयश्च भिन्ना, नैको मुनिर्यस्य वचः प्रमाणम् । धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायां महाजनो येन गतः स पन्थाः ॥ उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे शत्रुविग्रहे । राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः ॥ क्षणं चित्तं क्षणं वित्तं क्षणं जीवति मानवः । यमस्य करुणा नास्ति धर्मस्य त्वरिता गतिः ॥ सत्कुले योजयेत् कन्यां पुत्रं विद्यासु योजयेत् । ब्यसने योजयेच्छत्रु इष्टं धर्मेण योजयेत् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002634
Book TitlePrakrit Jain Katha Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages210
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy