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माँ — नौकरी |
बालक- मैं भी नौकरी करूँगा ।
माँ – तू अभी छोटा है, नौकरी करना तेरे बस की बात नहीं । लड़का- -माँ ! मुझे बता, नौकरी कैसे की जाती है ।
माँ – देख, नौकरी करने वाले को नम्रतापूर्वक व्यवहार करना चाहिए, मालिक का जय-जयकार करना चाहिए, मालिक की आज्ञांनुसार चलना चाहिए । और क्या ?
लड़का अपनी माँ के चरणों का स्पर्श कर नौकरी के लिए चल दिया । किसी जंगल में कुछ शिकारी हरिणों की घात लगाये बैठे थे । उन्हें देखकर लड़के ने दूर से जय-जयकार किया । शिकारियों का खेल बखेल हो गया । उन्होंने समझाया - मूर्ख ! ऐसे समय शोरगुल न मचाकर, चुपचाप दबे पांव आना चाहिए ।
आगे चलने पर उसे कपड़े धोते हुए धोबी दिखायी दिये । धोबियों के कपड़े चोरी चले जाते थे और चोर का पता लगता नहीं था ।
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लड़का धोबियों की ओर चुपचाप दबे पांवों जाने लगा । उन्होंने उसे चोर समझकर पीटा । धोबियों ने कहा
डालने से सफाई आती है ।
- खार
कुछ दूरी पर किसान खेत में बीज बो रहे थे । उसने वही कहाडालने से सफाई आती है ।
न आयें ।
- ऐसे समय दबे पांव न आकर कहना चाहिए कि खार
उसकी फिर कुटाई हुई ।
-
किसानों ने कहा- ऐसे समय कहना चाहिए कि ऐसे ही और भी हों । आगे चलने पर उसे शव को ले जाते हुए कुछ लोग दिखाई दिये । चिल्लाकर वह कहने लगा – अरे, ऐसे और भी हों ।
उन लोगों ने कहा
- मूर्ख ! ऐसे समय कहना चाहिए ऐसे प्रसंग कभी
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कुछ दूरी पर एक बारात मिली ।
उसने दुहराया — ऐसे प्रसंग कभी न आयें ।
बारातियों ने समझाया -- ऐसे समय कहना चाहिए कि ऐसे प्रसंग बहुत-से आयें और हमेशा मैं यही देखूं ।
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