SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६१ एक दिन नगर के बाहर एक वृक्ष पर काठ की भाँति निश्चेष्ट बैठे हुए पक्षी की ओर चन्दन की नजर गई । उसने देखा कि जब वृक्ष के सब पक्षी अपने दाने-पानी के लिए बाहर चले जाते तो वह चुपके से उनके घोंसलों में घुस उनके अण्डे-बच्चों को चट कर जाता ! एक दिन उसे भुजा लटकाये ध्यानमग्न एक साधु दिखायी दिया ! वहाँ एक राजकुमारी आई। साधु ने पहले तो उसे उपदेश दिया और बाद में उसका हार निकाल उसे गड्ढे में मार कर फेंक दिया ! __ चन्दन विचार करने लगा जैसा ढोंगी यह पक्षी है और दंभी यह साधु है; वैसी ही कहीं मेरी पत्नी और यह ब्राह्मण भी तो नहीं ?' प्रवंचक मित्रों की कहानी _ विश्वासपात्र बनकर ठगने वाले वंचक मित्रों की कहानियाँ समराइच्चकहा, कुवलयमाला आदि जैन कथा ग्रंथों में मिलती हैं । मायादित्य और थाणु की कथा का उल्लेख किया जा चुका है । कपटी मायादित्य ने अपने मित्र थाणुको ठगने का प्रयत्न किया लेकिन सफलता न मिली। कपटी मित्र एक बार की बात है, दो मित्रों को कहीं से एक खजाना मिला । दोनों ने सोचा कि शुभ मुहूर्त में इसे निकालकर घर ले जायेंगे। लेकिन एक दिन कपटी मित्र ने चुपचाप खजाना निकाल कर उसके स्थान पर कोयले रख दिए । ___ जब दोनों खजाना निकालने आये तो कपटी मित्र कहने लगा-क्या करें भाई साहब ! अपना भाग्य ही ऐसा है, देखो खजाने के कोयले बन गये ! सच्चा मित्र कुछ नहीं बोला । १. बालेन चुम्बिता नारी, ब्राह्मणो शीर्ष हिंसकः । काष्ठीभूतो वने पक्षी, जीवानां रक्षको व्रतो ।। आश्चर्याणीह चत्वारि मयापि निजलोचनैः । दृष्टान्यहो ततः कस्मिन् विश्रब्धं क्रियतां मनः ॥ मलधारि हेमचन्द्र (१२ वीं शताब्दी), भवभावना। 'रमणी के रूप', में 'विश्वासपात्र कौन' ? कहानी । २. कुवलयमाला. पृ० ५८-५९ । मिलाइए पंचतंत्र, मित्रभेद की धूर्त और चार ब्राह्मणों की कहानी के साथ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002634
Book TitlePrakrit Jain Katha Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages210
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy