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हास के कारण पशु को प्राप्त करके भी छोड़ देता है । उसी प्रकार संसारी जीव दीर्घ संसारी होने से अज्ञान के कारण धर्म को छोड देता है।
आगम साहित्य में दृष्टांतों द्वारा धर्मोपदेश आगमकालीन कथा-साहित्य में ज्ञातृधर्मकथासूत्र का उल्लेख किया जा चुका है । अंडक नामक अध्ययन में यहाँ मयूरी के अंडों के दृष्टांत द्वारा, तथा कूर्म नामक अध्ययन में अपने अंगों की रक्षा करने वाले कछुओं के दृष्टांत द्वारा संयम की रक्षा का उपदेश दिया है । रोहिणी नामक अध्ययन में धन्य सार्थवाह की पतोहू रोहिणी के दृष्टांत द्वारा अपने आचरण में सदा जागरुक और उद्यम शील रहने का उपदेश है।' नौवें अध्ययन में जिनपालित और जिनरक्षित नाम के माकंदीपुत्रों के माध्यम से प्रलोभनों पर विजय प्राप्त कर संयम में दृढ़ रहने का उपदेश है अन्यत्र दावद्दव नामक वृक्ष, परिखा का जल, मेंढ़क, नंदीफल वृक्ष, कालिय द्वीपवासी अश्व आदि दृष्टांतों द्वारा धर्मकथा का प्ररूपण किया गया है । कालियद्वीप अश्वों के संबंध में कथन है कि साधु स्वच्छन्द विहारी अश्वों कि भाँति आचरण करते हैं, शब्द आदि विषयों से आकृष्ट होकर पाशबंधन में वे नहीं पड़ते। सूत्रकृतांग में कमलों से अच्छादित सुंदर पुष्करिणी के दृष्टांत द्वारा धर्मोंपदेश दिया है । चार पुरुष चारों दिशाओं से कमल को तोड़ने आते हैं, लेकिन सफल नहीं होते । इस समय तटवर्ती एक मुनि इस कमल को तोड़ लेता है । यहाँ पुष्करिणी को संसार, कमल को राजा, चार पुरुषों को चार परमतावलंबी साधु तथा तटवर्ती मुनि को जैन साधु बताया है । विपाकसूत्र नामक बारहवें अंग में कर्मों के विपाक संबंधी कथाएँ दी हुई हैं।
उत्तराध्ययन के विनय अध्ययन में बताया है कि जैसे मरियल घोड़े को बार-बार कोड़े लगाने की जरूरत होती है, वैसे ही मुमुक्षु को पुनः पुनः गुरु के उपदेश की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। औरभ्रीय अध्ययन में कहा है कि जैसे खूब खिला-पिलाकर पुष्ट किये गये मेंढ़े का अतिथि के आने पर वध १. उपदेशपद, भाग२. गाथा५५१, पृ. २७२अ । २. देखिए, 'दो हजार बरस पुरानी कहानियाँ' में 'चावल के पांच दाने' कहानी। सर्वास्तिवाद
के विनयवस्तु (पृ० ६२) तथा बाइबिल (सेंट मेथ्यू की वार्ता २५, सेंट ल्यूक की
सुवार्ता १९) में यह कहानी कुछ रूपान्तर के साथ उपलब्ध है। ३. देखिए, 'दो हजार बरस पुरानी कहानियाँ' में 'प्रलोभनों को जीतो' नामक कहानी।
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