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________________ भूमिका ने एम कहेवानु शीखवे छ के-आ राणी जो तमारा बैदीकरा तरी अने बसंतनां लोहीथी स्नान करे तो साजी थाय. राजा ज्यारे शाणा माणसने राणीनी मांदगीनु कारण पूछे छे त्यारे ते राणीना शीखव्या प्रमाणे ज जणावे छे. राजा पुत्रोने मारी नाखवानो हुकम करे छे. पण माराओनी दयाथी छूटी जाय छे ..........इत्यादि............ __ आवा ज प्रकारनी एक बीजी कथा काश्मीरनी लोककथामां पण कहेवाई छे.' तेनी कथा उपर प्रमाणेनी ज छे. तेमां फेर एटलो जछे के नवी राणी ए वजीरनी पुत्री होय छे. नवी राणी राजाने पोतानो मानीतो बनावी पछी भ'भेरे छे के तेना बे पुत्रो स्वच्छंदी छे अने पोताना तरफ खराब वर्तनवाळा छे. राजा आ सांभळी बाळकोने मारी नाखवानो हुकम करे छे. माराओ ज्यां मारवा जाय छे त्यां देवीना प्रतापथी तेमनी तलवार लाकडानी थई जाय छे. आथी तेओ ते छोकराओने जंगलमां छोडी दे छे इत्यादि...... काश्मीरनी एक बीजी लोककथामा अपरमा पोताना पुत्र पासे अघटित आचरण करवानु जणावे छे. त्यारे तेओ ए वातनो अनादर करे छे. अपरमा वेरथो प्रज्वलित थई तेमना पर आळ ओढाडी राजा पासे ते बे पुत्रोना हृदयनी मागणी करे छे. वाताना ट्रंक सार आ प्रमाणे छ ' एक राजा अने एक राणीने बे बाळको हतां. थोडा समय पछी राणी मृत्यु पामी अने राजा बीजी वार परणीने नवी राणी लाव्यो. बन्ने बाळकोए एकमेकनी सलाह लई विचार कर्यो के आपणे नवीमाने इक अभिनंदनात्मक भेट धरीए. तेथी ते ओए हीरा-माणेकथी एक थाळ भर्यो अने नवी माना चरणोमां धर्यो. नवी रागीए तेनो स्वीकार कर्यो, ते वखते आ बे राजकुमारो पर तेनी नजर चोंटी. राजकुमारो चाल्या गया. दिवसे दिवसे तेओ नवी राणी माटे एवी ज रीते मेट-वस्तुओ लेता आवता हता. आम करता एक दिवस नवी राणीना मनमां ते ओरमान पुत्रो प्रत्ये कामवासना जागृत थई अने तेणे ते पुत्रोने पोतानी साथे अनीति आचरवान कयु. पण तेओ बोल्या के, 'तमे तो अमारी माता थाओ. तमारी अने अमारी वच्चे आवु कदापि संभवे नहि.' आम कही तेओ चाल्या गया. सांजे ज्यारे राजा अंतःपुरमा गयो त्यारे राणीए पोतानु द्वार वासी राख्यु. राजाए खखडाव्यु तो पण तेणे उघाड्यु नहि. राजाए कारण पूछयु त्यारे ते बोली, 'हुतमारी पत्नी छ के तमारा बे बाळकोनी ?' आम कही तेणे ते बाळको पर व्यभिचारनु आळ ओढाड्यु. अने कह्य, "हवे ज्यां सुधी तमे मने तमारा बे पुत्रोना हृदय काढीने नहि आपो त्यां सुधी हुं द्वार खोलवानी नथी.” राजाए त्यारबाद वजीरने ते बाळकोने मारी नाखवा जणाव्यु पण वजीरनी दयाथी तेओ जंगलमां नासी नीकळया इत्यादि .. १. Folktales of Kashmir by Knowls. J. H. [बीजी आवृत्ति] [पृष्ठांक १६६] 2. Hatim Tales. Kashmiri Stories and Songs by Sir Aurel Stain and GA Grierson P. 45 आ उपरांत पात्र अने प्रसंगना आलेखनमां कइक विगतफेर साथे आ ज प्रकारनी बीजी काश्मोरी कथा माटे जुओ Folktales of Kashmir by Knowls G.H.ए पुस्तकमांनी पृष्ठाक ४१५ थी ४४१ सुधी आपेली 'The Four Princes'-चार राजकुमारो ए नामनी कथा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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