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________________ ७० प्रद्युम्नकुमार-चुपई गेडीथी दडो उछळी अपरमाना घरमां पडतां ते लेवा राजकुमार जाय अने त्यां अपरमा तेने जोई तेना रूप-यौवनथी आकर्षाई अघटित मागणी करे अने अनादर पामतां चारित्र्यभ्रष्टतानु आळ मूके ए प्रकारनु कथाघटक "हसावली"नी कथामां पण प्रतीत थाय छे. आ ज प्रमाणे गेडीथी उछळेलो दडो अपरमा पासे पडतां ते लेवा आवतां ओरमान पुत्र उपर तेनी अपरमा ते अणगमतो होवाथो तेनो कांटो दूर करवानी इच्छाथो एकांतनो लाभ लई, शरीरनी विकृति करी, तेना पर व्यभिचारनु आळ ओढाडे तेवी एक कथा पश्चिम भारतमां पण प्रचलित छे. कथानो ढूंक सार आ प्रमाणे छे': एक राजा पोतानी एक राणी अने बे संतानो साथे रहेतो हतो. थोडा दिवस बाद राणी मरण पामी अने राजा बीजी राणी परणी लाग्यो. आ बीजी राणी पहेली राणीनां बाळको प्रत्ये अदेखाई करवा लागी अने राजा तथा पोतानी साथेथी बाळकोने टाळवा लागी. बाळको अपरमानी आ बर्तणूकथी समजीने दूर रहेतां हता. एक दिवस राणी बगीचामां महालती हती. तेवामां हीरामोतीथी जडेलो एक दडो तेना पग आगळ आवो पड्यो. आवो अमूल्य दडो पोताना ओरमान पुत्रोनो ज छे एम जाणीने ते ते लेवा जती हती त्यां तेनो ओरमान दीकरा भींत कुदीने बगीचामां आव्यो अने ज्यां राणी हती त्यांथी दडो लई झडपथी भागवा लाग्यो. पण तेणे पीठ फेरवी के तरत ज राणीए शोर मचावी मूक्यो, छातीफाट रुदन करवा लागी, पोताना वाळ फेंदी नाख्या अने कपडां फाडी नाख्यां. एवामां चोकीदारो त्यां दोडी आव्या अने शोक-संताप माटे पूछतां राणीए तरत ज रोषमां ते मोटा ओरमान दीकरा पर बदचलननु आळ ओढाड्यु. चोकीदारो तेने पकडी राजा पासे लई गया. राणीए राजा पासे मोटा दीकरा विरुद्ध काळी कहानी रजू करी. गुस्साथी कंपता राजाए राणीना कह्या मुजब बन्ने राजकुमारोने मारी नाखी तेमनी आंखो हाजर करवानो माराओने हुकम कर्यो. त्यारबाद मारानी दयाथी बन्ने भाईओ बची जाय छे अने नासी छूटा पडी जाय छे. तेमांथी एक भाई पर हाथणी कळश ढोळे छे, एटले ते बीनवारस गादीनो राजा थाय छे. बीजो रखडतो रहे छे. केटलांक साहसिक पराक्रमो पछी ए पण राजा थाय छे. अंते भाईओनो मेळाप थाय छे. बन्ने मळी पिता पासे आवे छे. ओरमान मा पोतानो गुनो कबूल करे छे. राजा तेने गाम बहार धकेली दे छे. पितापुत्रो आनन्दथी राज्य करे छे. एक मणिपूरी कथामा उपर्युक्त कथानु ज कंइक विगतभेदे निरूपण करवामां आव्यु छ. राजानु नाम हेमांगसेन अने राणीनु नाम अनंगम जरी छे. तेना बे पुत्रोनु नाम तूरी अने वसंत छे. अहीं तेआनी मा मरी जतां जे नवी मा आवे छे ते ओरमान पुत्रो प न मकतां नवो प्रपंच खेले छे. मांदगीनो ढोंग करी गुप्त रीते शाणा माणसने बोलावी तेने राजा १. Folktale in Western India No. 11-by Putali H.wadia. The Indian Antiquary Vol. XVII March 1881, P.75-81 २. आ ज प्रकारनी कथा 'अमरसेन-वयरसेन'नी वार्तामां, हंसराज-वच्छराज'नी वार्तामा अने 'वीरभाण-उदयभाण'नी वार्तामां कंइक विगतभेदे कहेवाय छे. ३. 'The Two Brothers' by Damant G. H., The Indian Antiquary Vol IV. 1875 p.260.-264 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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