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________________ भूमिका ६१ आम विचार करी घर तरफ जतां रस्तामां नाना भाईने मोटा भाई ओए भेगा मळी कुवामां धकेली दीधो अने राजकुवरीने उठावी गया. आ बाजु पेलो नानो भाई भगवानना घोडानी मददथी बहार नीकळी तेना पर बेसी पोताना घरे आव्यो अने पिताने सर्व वात जाहेर करी. ज्यारे छ ये भाईभो घरे पहोंच्या त्यारे तेओए नाना भाईने जोयो. राजाए छएने मारी नाख्या. नाना पुत्रे रामकुंवरी साये सुख भोगवतां रान कर्यु पोते महेनत मजुरी करे अने नानो भाई लहेर उडावे ए जोई मोटा भाई ओ नाना भाई प्रत्ये इाल बनी तेने मारी नाखवानी कर योजना घडे तेवु कथानक कारिकोट [Karikot] तरफ प्रचलित छे. ते कथा टूकमां आ प्रमाणे छे' : एक वृद्धने सात पुत्रो हता. जेमांथी सोथी नानो कुवागे हतो. ज्यारे वृद्ध मरण पाम्यो त्यारे छये भाईओ मेगा रहेवा मांड्या. छए भाई ओ खूब महेनतमजुरी करवा लाग्या अने नानो भाई रखडवामां अने रमवामां वखत गाळतो. पोताना नानो भाईने आम बेफिकरो जोई छए जणे खेतरमां ऊंडो स्त्राडो खोदी दाटी मारवानी योजना करी. ए राते ते ओए नाना भाईने आवती कालथी रांडवु लईने खेतरमा आववानुजणव्यु अने नहीं आवे तो मारी नाखवानी धमकी आपी. बीजे दिवसे नानो भाई खेतरमां आवे ते पहेलां सौथी मोटा भाईए पोतानी कुहाडी खाडामां नाखी. ज्यारे नानो भाई आव्यो त्यारे मोटा भाईए खाडामाथी कुहाडी काढी आपवाना बहाने तेने खाडामां उतारी उपरथी कादव अने पथ्थर मारीने दाटी दीधो अने रडता रडता घरे ग आ बाजु नानो भाई खाडामां उंदरे करेला दर मारफते जंगलमां नीकळी आव्यो अने पाछो घरे गयो. त्यां मोटा भाईओ तेनी उत्तरक्रिया करता हता. नाना भाईने जोई तेओ भय पामी गया. नाना भाईए पोतानो सर्व वृत्तान्त कह्यो अने जणाव्यु के पोते हवे तेओनी साथे नहि रहे. आम कही ते जंगलमा गयो अने छाणनुलींपेलु घर पोताना माटे बनान्यु'. थोडा वखत पछी महापुरबे एक माछीकन्या तेनी पासे मोकलावी. तेने ते परण्यो अने बन्ने सुखेथी छाणना घरमा रहेवा लाग्या. रायपुर जिल्लामां बीजी एक आ ज कथाघटकने निरूपती कथा प्रचलित छे. जेमां नाना भाई प्रत्ये माता-पिताने खूब पक्षपाती प्रेम होवाथी मोटा भाईओ इामां प्रज्वळतां, तेनो कांटो दूर करवानी योजना करे छे. पण अंते नानो भाई विजेता बनी सुखसमृदिनो स्वामी ट्रॅकमां कथा आ प्रमाणे छे' : एक राजाने पांच पुत्रोमांथी सौथी नाना पुत्र उपर खूब प्रेम होई तेने मनमानी उत्तम चीजो अपावतो हतो. ते जोई चारे य मोटा भाईओए अदेखाइथी बळता होई, नाना भाईने जंगलमां लई जई मारी नाखवानो निर्णय कर्यो. एक दिवसे शिकारना बहाने मोटा भाई ओए नाना भाईने जंगलमां लई जईने रखडतो की दीधो अने घरे आवी राजाने जणाव्यु के 'वाघे तेने फाडी खायो छे' आ बाजु नानो भाई रखहतो रखडतो मधुवनमां आव्यो अने सुरभि गायनी साये रहेवा लाग्यो. एक वखत एक वृद्ध ब्राह्मण १. 'Escape from the Pit' [ A Kuruk story from Karikot on the Indrawati River, Baster state] From : 'Folktales of Mahakosala' by Verrier Elwin. २. The Iron Cart' (A God-dhuka Lohar Story from Raipur District ) From 'Folktales of Mahakoshal,' by Verrier Elwin Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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