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________________ प्रद्युम्नकुमार-चुपई 'प्रद्युम्नकुमार चुपई' मां तेना कर्ताए पोतानी आ रचना पाछळना कोई विशिष्ट हेतुनो क्याय निर्देश नथी कर्यो. छतां काव्यमां ठेरठेर कथाप्रसंगने अनुषंगे ज्या ज्यां कर्ताने तक मळी छे त्यां त्यां धर्मोपदेश आपेला छे. आ रीते कर्ताए पुण्यनो प्रभाव दर्शाव्यो छे, स्त्री उपर विश्वास मूकवाथी भोगववा पडतां दुष्परिणामोनु ब्यान करेलु छ, अहिंसानो उपदेश दीधो छे, संयमनो महिमा गायो छे, पार्थिव पदार्थोनी असारता बतावी छे, अने कर्मना सिद्धांतनु प्रतिपादन करेलु छे. प्रद्युम्नकुमारने तेना पुण्योदयथी ज दिव्य वस्तुओ अने विद्याओनी प्राप्ति थई हती एम वर्णवता कवि कहे छे : पुन्य बलवंत बलवंत अछइ संसारि, पुन्यइ सेवइ सुर सयल, पुन्य पुहवि अरिहंत भाखइ पुन्यइ अणचितिउं फलइ, मरणभय ते पुण्य राखह रिद्धि वृद्धि पुन्यइ मिलइ, पुन्यइ राजभंडार पुन्यइ सवि आवी मिलइ, जिम प्रदिमनकुमार (२८८) प्रद्युम्न ज्यारे कोलगुफामां कालासुरने हरावे छे त्यारे ते तेना पराक्रमथी प्रसन्न थई तेने छत्र तथा चामर आपे छे. कवि एने पण पुण्यनु ज फळ गणे छे : कुमर प्राक्रम देखी तेय, आविउ छत्रचामर करि लेय पाय लागीनइ दीधा सोय, पुण्यतणां फल एह ज जोइ (२६०) तो "पजून वीवाह पुन्यइ फलिउ" (६१७) एम कही पुण्यने ज तेना लग्नना कारणरूप कवि माने छे. कृष्ण पण पोतार्नु अपमान करनार प्रद्यम्न उपर गुस्से नथी थता तेना कारण कृष्ण पोते प्रद्युम्नना पुण्यने ज कारण तरीके लेखावता कहे छे, "पुन्यवंत तु क्षित्री होइ तुझ ऊपरि मुझ कोप न कोई" (५४१). आम पुण्यनो महिमा कविए घणे ठेकाणे गायो छे. . स्त्रीनो विश्वास जीवनमां अधःपतन आणे छे, तेना समर्थनमां कवि स्त्रीचरितोना केटलाक दाखला आपी मानवीने स्त्रीनो विश्वास न करवानो बोध आपे छे. कवि कहे छे, "स्त्री तण जे वेसासह करइ, तेय माणस अखूटइ मरइ" (३२१) “जुलु' बोलई ठुलवइ, निज प्री मेल्हि अवर भोगवई" (३२२) के स्त्रोनह साहस विमणु होइ, स्त्री-चरित्र नवि जाणइ कोइ स्त्रीनी बुद्धि नीची नितु रहइ, उत्तम छोडि नीच संग्रहइ ३२३ आ प्रमाणे "एहवी असतितणु सभाउ” (३२४) एम कही कवि तेना समर्थनमां, पोतानी पत्नीने पोतार्नु राज्य सोपनार उजैनना राजा बिबिमारनुं दृष्टांत, पोताना पतिने विषना लाडवा खवडावो कोई कुनडा साथे क्रीडा करनार, अमृतादेवी (?) अने तेना पति राजा यशोधरन दृष्टांत,हापाशेठ-के जेने दोरडाधी बांधो, तेनी पत्नी शरम नेवे मूकी, एक धर्तने घरमां घाला भरथार बनावे छे - तेनु दृष्टांत आ उपरांत सुदर्शन शेठ अने अभपाराणीनुं दृष्टांत, राममां मोह पामेली शूणखाए द्वेषमां रावग द्वारा सीता हरण करावी रामरावण वच्चे युद्ध जंगाव्यु, परिगामे लंका दहन अओ रावगनो वध थयो ते दृष्टांत, अमरकंकानारीमाथी युद्ध मचावी कृष्णे पद्मनाभ द्वारा हरण करायेली द्रौपदी पाछी आणी तेनी दृष्टांतकथा, एम अनेक दृष्टांतकथाओनो त्यां उल्लेख करे छे. आ प्रमाणे स्त्री पर विश्वास न राखवानो सदुपदेश पण कविए पोतानी कृतेनां आपेठो छे. तो परणेरा जमा नेनकुमार, पोताना लग्ननी उगवणीमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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