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________________ भूमिका ३७ रास-साहित्यनां अन्य अंगोमां हवे तेनो विषय, कथानो झोक अने रचनाना उद्देश विशे विचार करीए. ५. रासोनो विषय :-(क) रासोनो विषय मोटे भागे चरित्रकथननो रहेतो. मोटा भागना रास कोई क जैनपुराणप्रसिद्ध, इतिहासप्रसिद्ध के कल्पित पात्रना जीवनर्नु अथवा तेना जीवनना कोई कसोटीभर्या प्रसंगनुं वर्णन करता. आ उपरांत धार्मिक सिद्धांत के व्रतमाहात्म्य दर्शावता तेम ज रूपकात्मक, बोधात्मक गुरुमहिमान गान करता के दीक्षाप्रसंग, चत्यपरीपाटी, तीर्थस्थळ इत्यादिनु वर्णन करता रास पण रचाता. आ विषयोना रास प्रमाणमा ओछा छे. प्रद्युम्नकुमार ए जैनोना नवमा वासुदेव श्रीकृष्णना चरमशरीरी एवा ज्येष्ठपुत्र छे, तथा चोवीश कामदेवमांना एक छे. आम ए जैन-पुराणग्रन्थोनु एक प्रसिद्ध पात्र छे. वा. कमलशेखरे. उपर का छे ते प्रमाणे जैनपुराणप्रसिद्ध पात्रना चरित्रनु वर्णन करवा आ रासनी रचना करेली छे. (ख) लगभग बधा ज चरित्रात्मक रासोमा पूर्वजन्मनी वात आवती अने ते द्वारा कर्मवादना सिद्धांतनु प्रतिपादन करवामां आवतु. केटला रासाओमां अंते पूर्वजन्मनी वात जाणी संसारनी असारता समनी मुख्य पात्र तथा तेनी आसपासनां अन्य पात्रो दोशा लेतां होय छे. 'प्रद्युम्नकुमार-चुपई'मां पण प्रद्युम्नकुमार, शांब तथा रुक्मिणीना पूर्वभवोनु वर्णन करवामां आत्यु छे, अने ते द्वारा कर्मना सिद्धांतनु प्रतिपादन पण करवामां आव्यु छे. घणीवार कर्मना सिद्धांतना प्रतिपादनार्थे तथा कथा-विस्तारना लोभे रासकारो पात्रोना पूर्वभवनी लांबी लांची जीवनपटमाळनु आलेखन करता, अने तेथी रासकृतिनुं धोरण काव्यत्वनी दृष्टिए नीचुं जतु. परंतु प्रस्तुत कृतिमां कर्ताए प्रद्युम्न, शांब अने रुक्मिणीनां पूर्वजन्मनी कथाओनु निरूपण खूब संक्षेपमां करेलुं छे. कुल ७५९ कडीमाथी मात्र ४४ कडीओमां ज (कडी १७० थी २१३) आ त्रणे पात्रोना पूर्वजन्मनी कथाओनु समुचित रीते आलेखन करेलु छे. अहीं नोधनीय ए छे के घणा रासाओमां, उपर का तेम पूर्वजन्मनी कथाओनु आलेखन कृतिना अंतमां आवतु' होय छे अने ते सांभळी मुख्य तथा अन्य पात्रो दीक्षा लेतां होय छे, त्यारे प्रस्तुत कृतिमा पूर्वजन्मनी कथाओ, कथानी वच्चे तेना योग्य स्थाने ज कर्ताए रजू करेली छे. बाळक प्रद्युम्ननु जन्मतावेंत ज हरण केम थयु अने तेनु अपहरण करनार साथे तेने दुश्मनावट केवो रीते थई ते, प्रद्युम्ननो शोध माटे गयेला नारदना प्रश्नना उत्तरमा सीमंधरस्वामी, प्रद्युम्नना पूर्वजन्मनी तथा रुक्मिणीने कया कारणसर सोळ वर्षनी पुत्रवियोग थयो तेना जवाबम तेना पूर्वजन्मनी वात, कहे छे. आथी अन्तमां प्रद्युम्न तथा अन्य पात्रो पोताना पूर्वजन्मनी कथाओना श्रवणथो संसाग्नी असारता समजी दीक्षा ले छे एम नथी बताब्यु, परन्तु द्वारिकाविनाशनी आगाहो परत्वे नेमिनाथ प्रभुना अदेशथी विरक्त थई प्रद्युम्न तथा अन्य पात्रो दोक्षा ग्रहण करे छे ६. रासनी रचनानो हेतु : राताओना विषय अने तेना कथानकनु वलण जोतां एटलु स्पष्ट जणाय छे के रासकृतिनी रचना पाछळ तेना कर्तानो हेतु कोई उत्कृष्ट साहित्यकृति रचवानो नहि परंतु कृति द्वारा धर्म-उद्बोधन अने जैनधर्मना सिद्धान्तोनो प्रचार करी तेनु माहात्म्य गावानो हतो. लोकोने सीधेसीध) नर्यो उपदेश आपवा करतां दृष्टांतात्मक रीते कोई आदर्शभूत व्यक्तिना धार्मिक चारजना श्रधगठनथी, ए प्रहारनु जीवन जोववानी प्रेरणा मळे अने ते रीते जैनधर्मनु आकर्षण वघे ए दृष्टिथी चरित्रात्मक रासाओन निर्माण थ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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