________________
भूमिका
३३
वपराता. जो के १५मा सैकानी जयशेखरसूरिनी रचना " अर्बुदाचलवीनती” द्रुतविलंबितमां, तथा शालिभद्रसूरि कृत “पंचपंडवचरित्र - रासु" आखी संस्कृत अक्षरगणमेळ छंदोमां छे, पण ते तो मात्र अपवादरूपे; नवीनता अने वैविध्य खातर आ कविओए अक्षरमेळ छंदोमां रचना करी होय एम मानवु रघु आ उपरांत रासो गेय होई छंदनी देशीओमां, कोई लोकप्रिय अथवा लोकजीभे वसी गयेला गीतना ढाळमां के शास्त्रीय रागमां गाई शकाता अने ते अंगे जरूरी सूचनाओ मूकवामां आवती.
" प्रद्युम्न कुमार - चुपई " ए शीर्षक उपरथी ज सूचवाय छे तेम ए आ कृतिमां चोपाई छंदनो सविशेष उपयोग थयेलो छे. ए उपरांत दुहा, वस्तु छंद तथा एक ठेकाणे ढालनो पण कर्ताए प्रसंगानुकूळ उपयोग करेलो छे.
चोपाई :- संख्यानी दृष्टिए गणीए तो कविए चोपाई छंदमां ६८८ कडीओ रचेली छे. आ रीते जोईए तो पोणा भाग उपरांतनी कृति चोपाईमां छे, जे कृतिने आपेला शीर्षकनी सार्थकता सिद्ध करे छे. चोपाईनु बंधारण आ प्रमाणे छे :
मात्रा १५, चरण ४, ताल चार -१, ५, ९, १३मी मात्राए. छेवटना बे अक्षरो अनुक्रमे गुरु भने लघु
४
४
गाल
यार
राउत २११
करी स १२१
११११
२१ = १५.
सामान्य रीते उपर प्रमाणेनु चोपाईनु बंधारण रधुं छे, छतां जोडणीभेदने लईने केटलेक ठेकाणे तेनी मात्रा इत्यादिमां वधघट थई छे.
दुहा : - दुहामां बावन कडीओ रचायेळी छे. एनुं बंधारण सामान्य रीते नीचे मुजबं छे:
मात्रा २४, यति १३मी मात्राए, ताल ६-१, ५, ९मी मात्रा ए पूर्वार्धमां त्रण, अने एवी रीते उत्तरार्धमा ऋण द्विदळ रचना.
प्रथम दळना पूर्वार्धमा १३ अने उत्तरार्धमा ११ - विषमचरण एटले पहेला अने त्रीजा चरणमां १३ मात्रा, अने सम एटले बीजा अने चोथा चरणमां ११ मात्रा; समचरणनी
११मी मात्रा लघु.
दादा
गढ मद
११११
Jain Education International
४
जउ हथि
दादा मंडप
दाललल धवलहर
१ १ १ १ १,
२ १ १
1
१३ मात्रा
वस्तु छंद :- आ उपरांत वस्तुछंदनो पण कविए बंधारण सामान्य रीते आ प्रमाणे छे : प्रथम चरण १५ १५ मात्रानु, चोथु १३ मात्रानुं अंते १३-११ : वरणमां प्रथम सात मात्रा आवर्तन थतुं होय छे.
दादा जिन मं १ १ २
दादा गाल दिर अति सार १ १ १ १ २ १
1 ११ मात्रा
अगियारवार उपयोग कर्यो छे, तेनुं मात्रानु, बीजु १३ मात्रानु, त्रीजुं १३-११ ना मापवाळो दुहा. पहेला बीजा चरण अने चोथा चरणनी १३
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org