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भूमिका
कल्पित स्वप्नदर्शननु कथन - ए प्रसंगो मात्र "प्रद्युम्न कुमार - चुई" मां ज
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सत्यभामा द्वारा आलेखाया छे.
५. प्रद्युम्न द्वारा सिद्धपुरुषनु रूप लई सत्यभामाने स्वरूपवान बनावत्राना बहाने तेनुं कपटथी शिर मूंडी तथा मोढे मसी लगाडी विरूप करवानो प्रसंग मात्र “ प्रद्युम्नकुमार-चुपई" मां आलेखायेलो छे.
६. सांचकुमारना जन्मप्रसंगमां “प्रद्युम्नकुमार - चुपई " मां कृष्ण पासे रुक्मिणीना जेवा पुत्रनी मांगणी करे छे तेथी कृष्ण त्यां हरेणेो देव आपीने कृष्णने तेनी इच्छा पूछे छे, पुत्री मांगगी करे छे. देव कहे छे के " ते मारो पूर्वजन्मनो छुआ रत्नजडे हार तने आएं छु ते जे राणी परशे, तेने "प्रद्युम्नचरित" मां सत्यभामानी प्रद्युम्न जेवा पुत्रनी मांगणीनो प्रसंग के तदर्थे कृष्णनुं तप करवु - ए प्रसंगों नथी आलेखाया. त्यां तो देव पोते ज सीधो कृष्णनी सभामां जई हार आपे छे. वळी "प्रद्युम्नच रेत" प्रमाणे देवे कृष्णने आवो दिव्य हार आप्यो ते वातनी प्रद्युम्नने एम ने एम ज खबर पडी जाय छे. “प्रद्युम्न कुमार - चुपई" प्रमाणे कृष्ण पोते ज प्रद्युम्नने ए वातश्री विदित करे छे.
एम आलेखन छे के सत्यभामा, उपवास करो देवनुं ध्यान धरे छे, वारे कृष्ण, प्रद्युम्न जेवा बीजा होदर हनो हवे हुं देव त्यां प्रद्युम्न जेवो पुत्र थशे "
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७. "प्रद्युम्नचरित" प्रमाणे कृष्ण सत्यभामारूप बनेली जांबवतीने हार पहेरावे छे के तरत ज जांबवती पोतानु असल स्वरूप प्रकट करे छे, त्यारे कृष्णने मूळ वातनी खबर पडे छे. "प्रद्युम्न कुमार चुपई" प्रमाणे सत्यभामा बनेली जांबवतीने कृष्ण हार पहेरावे छे के तरत ज ते चाली जाय छे अने थोडीवारमां खरी सत्यभामा कृष्ण पासे आवे छे त्यारे कृष्ण कहे छे, "वळी पाछी शा माटे आवी ?" त्यारे सत्यभामा कहे छे, 'एवी वात वळी शुं करो छो ?' त्यां तरत ज कृष्ण विचार करे छे अने तेमने मूळ वातनी खबर पडे छे.
८. परणवा आवेला नेमिनाथ, तेमना विवाहोत्सवमां मिजबानी अर्थे बांधी गखेला प्राणीओनो पोकार सांभळी, परण्या वगर ज पाछा चाल्या जाय छे अने पछी दीक्षा ले छे ए प्रसंग मात्र " प्रद्युम्न कुमार - चुपई "मां ज आलेखायो छे
९. यादवकुमारो द्वारा द्वैपायनऋषिने मार मारवो अने द्वैपायनऋषि द्वारा तेमने शाप आपवानो प्रसंग पण मात्र 'प्रद्युम्नकार - चुप' मां ज आलेखवामां आव्यो छे. 'त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित्र' अने 'प्रद्युम्न कुमार - चुपई'
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आम कवि सधारुनी कृति 'प्रद्युम्नचरित' नी सरखामणीमां वा. कमलशेखरे पोतानो कृतिमां करेला उपर्युक्त महत्त्वना फेरफारो अने विशेष आलेखेला प्रसंगोने जोतां एम जणाय छे के वा. कमलशेखरे करेला ए फेरफारो अने आलेखेला विशेषप्रसंगोने हेमचन्द्राचार्य - कृत 'त्रिष्टि शलाका पुरुषचरित्र' नो आधार हरो, कारण के वा कमलशेखरे जे रीते पोतानी कृतिमां उपर्युक्त फेरफारो करेला छे, तथा विशेष प्रसंगोनुं आलेखन करेलु छे, लगभग ते ज प्रमाणे 'त्रिषष्टिशलाका ० ' मां तेनुं निरूपण आपणने मळे छे. आनी चर्चा पाछळ करी छे. एटलु ज नहि परंतु उपर्युक्त कहेला प्रसंगोमांथी केटलाक प्रसंग - विशेषोनुं तो वा. कमलशेखरे 'त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित्र' मांथी ते ते प्रसंगना संस्कृत श्लोकोने ज सीधे सीधा पोतानी कृतिमां मूकी दईने आलेखन करेलुं छे.
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