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प्रद्युम्नकुमार-चुपई उपयोग कर्श छे, तो ते ज प्रमाणे बराबर उपर्युक्त प्रसंगो वखते अनुक्रमे ७०, १३३ , २८८, ३२०, ३६२, ४६१, ४९१, ५०३ , ५३१ , ६८१ ए कडीओमां वा. कमलशेखरे पण वस्तु/दनो ज उपयोग कर्यो छे. - आम 'प्रद्युम्नकुपार-चुपई'मांनी घटनाओ, तेनो क्रम, तेना आलेखननी पद्धति तथा पद्यरचना, छंदोलय इत्यादि सर्व अंशोनुं आलेखन वा. कमलशेखरे कवि सधारु-कृत 'प्रद्युम्नचरित' माथी ज सीधेसीधु पोतानी कृतिमां करेलु छे. आधी आगळ कर्वा छे तेम 'प्रद्युम्नचरित' ए 'प्रद्युम्नकुमार-चुपई' नुं मात्र उद्गमस्थान ज नथी, परंतु एम कही शकाय के 'प्रद्युम्नकुमार-चुपई' ए मूळ हिन्दीभाषामां रचायेली कवि सधारुनी कृति 'प्रद्युम्नचरित'नु वा. कमलशेखरे प्राचीन गुजरातीभाषामां करेलु रूपान्तर ज छे. बन्ने कृतिओ वच्चे जणाता फेरफारो:
उपर जोयु तेम, कवि .धारु अने वा. कमलशेखरे पोतानी कृतिमां निरूपेली घणी घटनाओ एक सरखी रीते ज निरूपाइ छे. तो बीजा एवा केटलाक प्रसंगो छे, जेनुं आलेखन वा. कमलशेखरे कवि सधारु करतां सहेज जुदी रीते का छे. ए उपरांत बीजा पण एवा केटलाक कथाप्रसंगो छे. जेनं आलेखन वा. कमलशेखरे कवि सधार करतां पोतानी कृतिमा विशेष करेलु के. जो के आवा फेरफारो अने कथाप्रसंगोनी संख्या घणी नथी, छतां एना उपरथी एवं अनुमान थई शके एम छे के वा. कमलशेखरे 'प्रद्युम्नकुमार चुपई'नी रचना माटे तेना उदभवस्थान तरीके कवि सधारुनी कृति 'प्रद्युम्नचरित' उपरांत बीजी कोई कृतिनो पण आधार लीधेलो छे. प्रथम आपणे वा, कमलशेखरे पोतानी कृतिमां कवि सधारु करतां जुटी रीते आलेखेला प्रसंगोमांना महत्त्वना फेरफारो तथा विशेष आलेखेला प्रसंगोने जोई लईए.
१. कवि सधारु कृत 'प्रद्युम्नचरित' मां रुक्मिणीना रूपने जोई विह्वळ थयेला कृष्ण, नारदना कहेवाथी तरत ज कुंडिनपुर जाय छे, अने त्यां रुक्मिणीनुं हरण करे छे. "प्रद्युम्नकुमार -चुपई"मां रुक्मिणीना रूपने जोइ विह्वळ श्रयेला कृष्ण प्रथम दूत द्वारा भीष्मक राजा पासे रुक्मिणीना हाथनी मागणी करे छे. ते बख। रुक्मी कृष्णनो उपहास करी तेनी मागणी नकारे छे. आ वात सांभळी रुक्मिणी पोतानी धात्रीने, गमे ते गने कृष्णने मेळवी आपवानुं कहे छे. तेथी ते धात्री एक दतने गुप्त रीते बोलावी कृष्णने रुक्मिणीनु हरण करी जवानो संदेशो पाठवे छे. ए. संदेशो वांची पछी कृष्ण, बळराम -सहित कुडिनपुर जई रुक्मिणीनुं हरण करे छे. आम. कृष्णनी भीष्मक पासे रुक्मिणीनी मांगणी, रुक्मीए तेनो करेलो अनादर अने उपहास अने रुक्मिणीनी इच्छाथी धात्री द्वारा एक दूत मारफत गुप्त रीते कृष्णने रुक्मिणी-हरणनो संदेशो पाठववो ए प्रसंगो कवि सधार करतां वा. कमलशेखरे पोतानी कृतिमा विशेष आलेख्या छ. .
२. कवि सधारु “प्रद्युम्नचरित"मां सत्यभामाने रुक्मिणीनो मिलाप एक देवी तरीके बगीचामां करावे छे, ज्यारे वा. कमलशेखर “प्रद्युम्नकुमार-चुपई''मां लक्ष्मीदेवी तरीके लक्ष्मीना मंदिरमां कगवे छे.
. ३. कृष्ण द्वारा जांबुवतीना पाणिग्रहणनो प्रसंग मात्र “प्रद्युम्नकुमार-चुपई"मां ज आलेख येलो छे. ... ४. रुक्मिणी अने सत्यभामाने पुत्रजन्म थाय छे, ते पहेलां रुक्मिणीने थयेलु शुभ स्वप्नदर्शन, कृष्ण द्वारा तेना फळरूपे पोताना सरखा पराक्रमी पुत्रना जन्मनी आगाही, ते सांभळी
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