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________________ भूमिका अलंकार अने छद वा. कमलशेखरे पोतानी कृतिमा आलेखेला अलंकारो अने छंदोर्नु अवलोकन करतां जणाशे के ते पण कवि सधारुनी कृति "प्रद्युम्न-चरित"नी माफक ज आलेखाया छे. ज्यां अने जेम ए पोतानी कृतिमां उपमा, उत्प्रेक्षा, संदेह, दृष्टांत, व्याजस्तुति इत्यादि अलंकारोनुं आलेखन कयु छे, त्यां अने ते ज रीते वा. कमलशेखरे पण करेलुं छे. नारदे पट उपर आलेखेला रुक्मिणीना रूपने कृष्ण जुए छे अने तेने संदेह अलंकारथी कवि सधार आम निरूपे छे, : की यह आछर की वणदेइ, के मोहणी तिलोत्तम कोई की विजाहरि रूप सुतारि, काके रूप लिखो यह नारि ५५ ए ज प्रसंगे अने ए ज रीते वा. कमलशेखर पण ए ज अलंकार निरूपे छे: का अपछर ए देवहतणी, कइ मोहणि तिलोत्तमवणी कइ विद्याधरतणी कुमारि, कुणइ रूप लिखिउ संसारि ४९ प्रद्युम्ने मायामय वानरो वडे सत्यभामानी वाडी वेरणछेरण करी दीधी तेने सधार आलंकारिक रीते निरूपतां कहे छे: लंका जइसी की हणवंत, तिम वारी की पालखयंत ३५३ "प्रद्युम्नकुमार-चुपई"मां पण ए ज दृष्टांत छ : ___ लंका जिम कीधी हनुमति तिम वाडी कीधी बलवंति ३९३ कृष्णनी तलवारनु उपमा अने उत्प्रेक्षामय आ वर्णन कवि सधारुनु छः वीजु सरिसु चमकइ करवालु, जाणौ सु जीभ पसारै काल ५३९ तो तेनुं ते ज वर्णन वा. कमलशेखरे पोतानी कृतिमां कयु छ : वीज सरिखु झलकइ करवाल, जाणे जीभ पसारी काल-५३८ आगळ कहेला अलंकारना पण आवा बीजां अनेक उदाहरणो आपी शकाय एम छे, के जे वा. कमलशेखरे सीधेसीधा ज कषि सधारुनी कृतिमांथी लई पोतानी काव्यकृतिने पहेरावी दीधा छे. छंदोमां पण कवि सधारुए, जेम तेनी कृतिमां महद् अंशे चोपाई, दोहा अने वस्तुछंदनो उपयोग कर्यो छे, तेम वा. कमलशेखरे पण बहुधा चोपाई, दोहा अने वस्तुछदनो उपयोग कर्यो छे. कवि सधारुनी जेम वा. कमलशेखरनी कृतिनो मोटो भाग पण चोपाईबद्ध छे. जे छंद कवि सधारुए जे प्रकारना वर्णन माटे वापर्यो छे, महअशे वा. कमलशेखरे पण पोतानी कृतिमां ते प्रसंगना वर्णन माटे ते ज छदनो उपयोग कर्यो छे. उदाहरण तरीके रुक्मिणीनु हरण करी मता कृष्णने शिशुपाल द्वारा पडकार फेकवो ७६; छठी रात्रिए प्रद्युम्नना हरणनो प्रसंग १२७, पुण्यप्रभावन वर्णन २३१; कनकमाला पासे, युद्धमाथी पाछा आवी कालसंवर द्वारा विद्या मागता, कनकमालाए करेली बनावटथी दु:खित कालसंवरनुं वर्णन २६५, नारद द्वारा द्वारिकानगरीनु वर्णन ३१४; प्रद्युम्न अने रुक्मिणीनु मिलन ४२९, रुक्मिणी द्वारा यादवोना बळन वर्णन सांभळी क्रोधित थयेला प्रद्युम्ननु वर्णन ४६१, प्रद्युम्नना युद्ध-ललकारथी रोषे भरायेला कृष्णनु वर्णन ४७४; रणक्षेत्रमा पडेली यादवसेनानु वर्णन ५०२ के प्रद्युम्न द्वारा पोतानो परिचय अपाता गुस्से थयेला रुक्मीनु वर्णन ६४३-ए प्रसंगोमां कवि सधारुए वस्तछंदनो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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