SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रद्युम्नकुमार-चुपई प्राचीन गुजरातीमां भाषान्तर करीने ज, पोतानी कृतिमां मूकी दीधो छे, जेनी में सोदाहरण चर्चा पाछळ करी छे. आम स्पष्ट रीते जोई शकाय छे के वा. कमलशेखरे पोतानी कृति माटे कवि सधारुनी “प्रद्युम्नचरित" नामनो कृतिनो मात्र आधार लीधो छे एटलुज नहि परंतु प्राचीन हिन्दीभाषामां रचाएली ए कृतिना घणा मोटा मागनुं प्राचीन गुजरातीभाषामा रूपान्तर कयु छे. आ उपरांत वा. कमलशेखरे बीजा केटलाक एवा प्रसंगोनु आलेखन कर्यु छ के जेनु कवि सधारुए पोतानी कृतिमां निरूपण नथी कयु. ए प्रसंगोनो अभ्यास करतां एम जणाय छे के वा. कमलशेखरे ए प्रसंगोना आधार तरीके हेमचन्द्राचार्य कृत "त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र" नो उपयोग को होय. कारण के तेमांना घणा प्रसंगो विशिष्ट रीते मात्र “त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र" मां ज आलेखाया छे, एटलुज नहि परंतु वा. कमलशेखरे तेवा केटलाक प्रसंगानु आलेखन "त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र'' मांना ते ते प्रसंगना संस्कृत इलोकाने ज सीधेसीधा पोतानी कृतिमा उद्धृत करीने, करेलु छे. आनी पण विगतवार चर्चा पाछळ करेली छे. आम 'प्रद्युम्नकुमार चुपई' ना उद्भव-स्थान तरीके कवि सधारुकृत प्राचीन हिन्दी कृत 'प्रद्युम्नचरित' अने हेमचन्द्राचार्य कृत 'त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र' ने गणावी शकाय. वळी हेम. चन्द्राचार्य अने वा कमलशेखर वच्चे लगभग चारो वर्षना गाळा रहेलो छे. तेथी एम पण बनवं संभवित छे के वा. कमलशेखरे 'त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र' नो सीधेसीधे उपयोग न पण को हाय अने बच्चेना गाळा दरम्यान काई श्वेताम्बर जैनमुनिनी, आ 'त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र' ना आधारे प्रद्युम्नकुमारनी कथा उपर रचायेली बीजी कोई कृतिमाथी ते ते प्रसंगना उद्धत थयेला संस्कृत श्लोको, पोतानी आ 'प्रद्युम्नकुमार चुपई'नी रचनामां लीधा होय. आम 'प्रद्युम्नकुमार चुपई'ना उद्गमस्थान विशेनी शक्यताओनो प्रास्ताविक विचार कर्या पछी हवे तेनो विगतवार विचार करीए. प्रथम कवि सधारुनी प्राचीन हिन्दी कृति 'प्रद्युम्नचरित'नो 'प्रद्युम्नकुमार चुपई'ना आधारग्रंथ तरीके विचार करीए. कवि सधारु कृत 'प्रद्युम्नचरित'नो 'प्रद्युम्नकुमार चुपई'ना आधारग्रंथ तरीके विचार घटनाओ अने घटनाक्रम : कवि सधारुए पोतानी कृतिने छ सर्गमा विभक्त करी छे. वा. कमलशेखरे पण पोतानी कृतिने छ सर्गमां विभक्त करी छे. 'प्रद्यम्नचरित'मां कवि सधारुए जे घटनाओनं आलेखन कर्य छे, ते ज सर्वे घटनाओन आलेखन वा. कमलशेखरे पोतानी कृतिमां करेलु छे. वळी आ सर्व प्रसंगोनो, कवि सधारुए आलेखननी दृष्टिए जे क्रम राख्यो छे, ते ज क्रम लगभग वा. कमलशेखरे पण राख्यो छे. तेमां - स्तुति, द्वारिकावर्णन, रुक्मिणीहरण, रुक्मी-शिशुपाळ साये कृष्णन युद्ध, रुक्मिणी-विवाह, रुक्मिणी-सत्यभामा स्पर्धा, प्रद्युम्न-जन्म-हरण, कालसंवर द्वारा प्रद्यम्नरक्षण अने तेने त्यां प्रदाम्ननुं पोषण, रुक्मिणी-विराप, नारद द्वारा सीमंधरस्वामी पासे जइ प्रद्यम्न विषेना समाचार जाणी रुक्मिगीने तेनी खबर आपवी, प्रद्युम्न अने सिंहरथराजा वच्चे युद्ध, प्रद्युम्न द्वारा विविध दिव्य वस्तु भो अने विद्याओनी प्राप्ति, कनकमालानी प्रद्युम्न परत्वे आसक्ति, प्रद्युम्न अने कालसंवर वरचे युद्ध, प्रद्युम्नतुं द्वारिकागमन, रस्तामा भीलवेषे दर्योधननी उदधिमालान हरण, द्वारिकामा मायावी चमत्कारोथी भानुकुमार, सत्यभामा, बळभद्र, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy