SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४१२ ४१५ तृतीय सर्ग (ब्राह्मणवेशे प्रद्युम्न सत्यभामाने महेले) तिहा ते सघली सभा हसाइ वलि सतिभामानइ घरि जाइ कांधि धोती जनोई धरइ द्वादश तिलक ते सदाइ करइ ४११ च्यारि वेद अचूक पढंति पटरांणी घरि गयु तुरंति ऊभु थयु जई सीहद्यारि पोलीए जई जणावी सार जेतला बांभण मांहि घणा । सतिभामा वरज्या! आपणा सांभली भणतां ऊपनु भाउ ते बांभण मांहि तेडाइ राणीतणउ आकारण थयु ठीगतु ठीगतु बांभण गयु आखा-पाणी हाथिइ लेइ राणीनइ आसीसह देइ ४१४ तूठी राणी करइ पसाउ मागि विप्र जिहि ऊपरि भाउ सिर कंपत बांभण तव कहइ बोल तम्हारु साचु हवइ वयण एक कहू तुझ सार भूखिउ बांभण दिउ आहार । हूं आपु सोवनभंडार. तूं सिउं मागइ ए आहार ४१६ ऊठउ विप्र तुम्हे भोजन करु बीजा विप्रनइ कहइ. जा परु निसुणउ वातं प्रदिमनतणी मोकली मूकी विद्या झंझणी उपराऊपरि बाभण पडइ सिर फूटइ कू करि लडइ । रांणी वात कहइ समझावि ए भरडानइ आमान अल्यावि ४१८ तव राणीनइ कहइ परदवण साथ द्रायउनइ भूखिउ कुण खुधा वियाई सुण विचार मुझनइ मूठी एक दिउ आहार ४१९ सतिभामा कहइ भोजन करु वढवाडीयानी वात परिहरु बइठउ विप्र अधासण मारि बइसण आणी आपु नारि झारी दीधी हाथ पखालि . आणी फलहलि प्रीसी थालि चुरासी तुलडीइ जांणि सालणां घणां परीस्या आणि ४२१ मांडा वडां परीस्या सबल सर्व मेली कीधु एक कवल भात परीसइ भातह खाइ आपण राणी बइठी आइ ४२२ ५२० 1. वरर्जया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy