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________________ ४२ प्रद्युम्नकुमार-चुपई (सत्यभामानी वावडीना जळन शोषण ) भानुकुमर ऊभु न थवइ उपाडीनइ घरि लेई जाइ वलि कुमर ते बांभण थई करि धोवती कमंडल लेई ४०० लाठी ठेकतु चलिउ सुभावि क्षण एक मांहि पहूतु आवि. उभु थयु आवीनइ तिहां सतिभामानी वावडी। जिहां . ४०१ भूखिउ बांभण जीमण करइ पाणी पीइ कमंडल भरइ सुणि'हो विप्र वात मुझतणी एह वापी सतिभामातणी ४०२ इहां पुरुष न पइसइ जाण तूं किम आविउ विप्र अजाण तु बाभण कोपिउ ततकाल तस सिर मुंडइ साही वाल ४०३ कांन नाक केन्हां लीयां चडी(?) ते ली पयठउ विप्र वावडी वली .... बुद्धि उपाई घणी समरी विद्या जलशोषणी ४०४ भरी कमंडल नीकलिउ सोय पछइ3 वावडी सूकी जोइ सूकी देखि अचभी4 नारी गयु बांभण चहुटामझारि ४०५ आखडी पडीनइ ऊभु रहिउ फूटि कमंडल नदीजल वहिउ बूडण लागी पाणीहारि कहइ वाणीया ताणइ वारि ४०६ नयरलोक सवि कुतिग मिलिउ एतलु करी तिहाथी चलिउ वली आविउ ते नयरमझारि ऊभु रहिउ वसदेव घरबारि ४०७ (मायामयी मेंढा वडे वसुदेवनो उपहास) दूहा वली एक मीढउ विकवी आविउ वसदेव पासि कहइ मुझ मीढउ जोइ तूं आणिउ अति उल्हासि वसदेव तव इम कहिउँ छोडी मेल्हाउ विप्र एह जोइ बल मीढातणुं लक्षण कहिस्यु तेह चुपई तव तिणि मीढउ मेल्हिउ छोडि देखत सभां पग गयु तोडि। वसदेवराय भूमि गिरि पडिउ लोक सहू तिहां जोवा जुडिउ ४१० 1. वाडी 2. सोणि 3. पूछइ 4. अंचभी 5. जोयु .... ४०९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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