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तृतीय सर्ग (सत्यभामानी वाडीमा प्रवेश)
घणा तरूवर देखइ कुमर फूलिहि परिमल मोह्या भ्रमर जाइ जूही पाडल अपार विउलसिरीनइ वेलि विचार कूजउ मरूउ नइ कणवीर रायचांपु केवडउ गंभीर गुलाब अगर तगर मंदार दमणउ वालु सुगंध अपार अंबज नीरि सदा फलतणा केलां द्राखइ बीजुरां घणां चारुली नारंगि2 लींबूई3 खजूरी खरणि दाडिम जूइ नालेरी फोफल घणी फली बोरि कुठ अंबिली अंमली
वाडी देखी अचंभु4 थयु बिइ वानर नीपाई गयु (मायामयी वानरो द्वारा उद्यानभंग)
वानर तेह वाडीमाहि जाइ तिणि सवि वाडी घाली खाइ सघलां फल-फूल सहरी चउड-चपट वाडी सवि करी लंका जिम कीधी हनुमंति तिम वाडी कीधी बलवंति। भानकुमर बइठउ छइ जिहां माली आवि पुकारिउ तिहां स्वामी तुम्हे म लाउ वार माय-बाडीनी करु हिव सार
वानर बिइ वाडीमांहि आइ तिणि सवि वाडी घाली खाइ (मायामयी मच्छर आदिथी भानुकुमारनी रंजाड)
कुम कुम उतावल धायुं तिहां वानर वाडि तोडइ जिहां प्रदिमनकु[म]र ते हासू करइ मायामइ मत्सर तिहा करइ तिणि गमि भान संपतु जाइ माछर खाधइ पाछु पुलइ भानु भाजनइ मा कन्हि गयु लगनि एय आलीगारु थयु ततखिणि बहु वरकांमिणि मिली भांनुनइ तेल चडावइ वली तेल चडावी करइ सिणगार अहवि गावइ मंगल च्यार रथ जोतर्या तुरीय तोखार ऊपरि चडि बइठउ कुमार तव प्रदिमन करइ तेतलइ चडी तुरंतु ज्योतिरथु चलइ बेहू रथ एकठा भिडाइ भानु पाडी घोडा घरि जाइ पडिउ भानु तव विलखी थई गातां आवी रोता गई 1. तुरवर 2. नारिग 3. लीबूइ 4. अचंभु
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