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________________ प्रद्युम्नकुमार-चुपई (यमसंवर तथा प्रद्युम्न वच्चे पुन: युद्ध) चुपई जिमसंवरराय कोप करइ सयल दल लेई संचरइ तव परिदवण रीसाणु1 जाम नागपास लेई मुकिउ ताम ३३३ ते दल नागपासि बांधि अहिउ राउ एकल ऊभु रहिउ । राउ प्रति आवी रिखि कहइ पुत्र ऊपरि वयर सिउं वहइ ३३४ वलतु राजा कहइ रखि सुणउ स्त्रीथकी ए कलेसह घणउ ते सांभली कुमर पासि गयु नारद देखी ऊभु थयु रिखि बोलइ सुणु परदवण बापह बेटा विग्रह कवण जेणि प्रतिपाली कीयु तूं राय तेहनु किम भांजीइ भडवाय ३३६ नारद वात कहइ समझाइ बिहुँ........ .... हरखह थाइ एतलु मुझ पछतावु थयु चतुरंगसेन संहरी गयु ३३७ सुणी कुमरि मनि मेलिहउ कोह नागपास .... .... .... कुमरमनि हरखिउ राय घणउ कुमरनइ करिउ पसाय ३३८ रखि कहइ जणणि तुम्हतणी करइ उसरि तुम्हारी घणी वचन अम्हारु जु मनि धरु घरह भणी सांमहणी करु ३३९ (प्रधुम्न द्वारा नारदनो उपहास) नारद वात कही तुम्हे भली मुझनइ केवलि कही सो मिली हरखी वात कहइ परदवण मुझनइ वेगि पहुचाडइ कवण ३४० नारद एक विमान करि धरइ कुमर भांजि हासी ते करइ वली वि[मान] .... .... जोडि क्षणइ कुमर ते नांखइ तोडि ३४१ विलखवदन थयु नारद जाम करइ विमान कुमर हसि ताम । विद्याबलि तिहि करिउ विमाणु जिहि उद्योतिहि लोपिउ भाणु ३४२ (प्रधुम्ननुं द्वारिका प्रति प्रयाण) ध्वजा घंट2 घूघरी संजुत्त रिखिसिउं चडिउ नारायणपुत्त जिमसंवरराय सम दिइ जाइ घणी भगति करि लागु पाय । 1. रासुणु 2. घंट पाय ३४३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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